शिवपुरी। शिवपुरी समाचार की खबर का असर हुआ है। बीते रोज शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने प्राइवेट डॉक्टर मृत नवजात को बाइक से झांसी ले गया, नर्स ने भेजा था प्राइवेट हॉस्पिटल शीर्षक से खबर का प्रकाशन किया था। इस खबर का आशय था कि दिनारा मे नर्स के भ्रष्टाचार के कारण एक नवजात की मौत इस दुनिया में आने से पूर्व ही हो गई थी। अस्पताल प्रबंधक ने इस मामले को दबाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हो सका। जांच मे पाया कि यहां अवैधानिक रूप से प्रसव कराए जाते थे। मामला सुर्खियों में आने के बाद इस अस्पताल को सील कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के इस अंधे कानून के कारण अभी जिले में इस प्रकार के कई क्लीनिक संचालित है।
यह था मामला
दिनारा थाना सीमा में निवास करने वाले चिरली निवासी मिथलेश लोधी उम्र 23 साल पत्नी साहब सिंह लोधी का प्रसव बुधवार 16 अप्रैल की शाम को निजी क्लीनिक मां पीतांबरा क्लीनिक पर कराया गया। डिलीवरी के बाद नवजात शिशु (बालक) की मौत हो गई। मृत नवजात के पिता साहब सिंह लोधी उम्र 26 साल का कहना था कि पत्नी मिथलेश को लेकर भाभी सुमित्रा लोधी के साथ 16 अप्रैल को सुबह 11 बजे सरकारी अस्पताल दिनारा पहुंचे।
अस्पताल की हेमलता भोगे मैडम (एएनएम) ने देखकर कहा कि इसको अशोक होटल दिनारा पर मां पीतांबरा क्लीनिक पर ले जाओ। उनके कहने पर हम पत्नी मिथलेश को लेकर मां पीतांबरा क्लीनिक पर पहुंचे। वहां डॉक्टर साहब ने देखकर कहा कि डिलीवरी कराने की गारंटी हमारी है। 10 हजार रुपए लगेंगे आप चिंता नहीं करो। मैंने कहा कि ठीक, फिर उन्होंने हमारी पत्नी को बोतल लगाना व इंजेक्शन लगाना शुरू कर दिया। करीब 5 घंटे पत्नी का इलाज किया। प्रसव हुआ तो बच्चे की मौत हो गई।
बच्चे की गंभीर हालत थी, डॉक्टर भी हमारे संग झांसी गया
नवजात के पिता साहब सिंह ने बताया कि अधिक समय हो गया और पत्नी को दर्द से परेशान होने लगी तो मैंने मां पीतांबरा क्लीनिक के डॉक्टर साहब से कहा कि मेरी पत्नी को ज्यादा परेशानी हो रही है। इसकी छुट्टी कर दो। डॉक्टर साहब ने कहा कि आप चिंता नहीं करो, डिलीवरी नॉर्मल हो जाएगी। शाम 6:30 बजे पत्नी मिथलेश ने बेटे को जन्म दिया। बच्चे की हालत गंभीर थी।
बाद डॉक्टर साहब ने कहा कि चलो, इसको झांसी लेकर चलते हैं। मैं अपने नवजात शिशु को भाभी सुमित्रा के साथ अपनी बाइक से और डॉक्टर साहब अपनी बाइक से मेरे साथ झांसी गए। मेडिकल कॉलेज गेट नंबर 2 के सामने किसी अस्पताल में मेरे नवजात शिशु को दिखाया तो वहां के डॉक्टर साहब ने उसे मृत बताया। फिर हम लोग मृत नवजात व भाभी सुमित्रा के साथ वापस आए।
केवल परामर्श केन्द्र की अनुमति
सीएमओ ने बताया कि इस क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन केवल परामर्श केन्द्र का है लेकिन यहां पर 4 बेड का अस्पताल चल रहा है। इसलिए इसको सील कर दिया गया है। सीएमएचओ ऑफिस के रिकॉर्ड में दिनारा के मां पीतांबरा क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन झांसी के डॉक्टर कुलदीप त्रिवेदी के नाम पर है। पूर्व सरपंच धनेंद्र यादव उर्फ बल्ली के फोरलेन हाइवे किनारे मकान के एक हॉल व एक कमरे में यह क्लीनिक किराए से संचालित है। क्लीनिक पर झांसी निवासी मोहित यादव और महिला नजमा खान ने डिलीवरी कराई जबकि क्लीनिक पर डिलीवरी की अनुमति नहीं है।
क्लीनिक पर दो साल से अवैध डिलीवरी करा रहे थे
मकान मालिक धनेंद्र उर्फ बल्ली यादव ने बताया कि मोहित यादव ने हमसे एक हॉल व एक रूम 12 हजार रु. किराए पर लिया है। क्लीनिक दो साल से संचालित है। पहले दवा बेचते थे, फिर डिलीवरी कराने लगे। एक बार समस्या आने पर हमने आपत्ति की। बीच में डिलीवरी बंद हो गईं। फिर बोले कि कागज पूरे तैयार हो गए हैं। ढाई लाख रु. खर्च हुए हैं। ऑनलाइन रसीद भी बताई। झांसी के बड़े डॉक्टर के नाम से कागज बताए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी आकर बैठकर गए थे। हमें लगा कि सब ठीक है।
शिवपुरी जिले के दिनारा कस्बे में गुरुवार को मां पीतांबरा पॉली क्लिनिक में प्रसव के दौरान शिशु की मौत के मामले में कलेक्टर के आदेश में एक जांच टीम अस्पताल पर पहुंची जिला सीएमएचओ संजय ऋषिश्वर के साथ जांच टीम में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील कुमार जिला मलेरिया अधिकारी डॉ लालजू शाक्य एवं फार्मासिस्ट डॉ सोमनाथ गौतम पहुंचे।
जांच टीम ने मौके पर कई प्रकार की दवाई, इंजेक्शन, उपकरण सहित भर्ती संबंधित दस्तावेज जप्त कर अस्पताल को शील्ड कर दिया गया सीएमएचओ डॉ संजय ऋषिश्वर का कहना है कि अस्पताल संचालक ने परामर्श केंद्र का लाइसेंस विभाग से जारी कराया था लेकिन संचालक अवैध तरीके से चार बेड का अस्पताल का संचालन कर मरीजों को भर्ती से लेकर गर्भावस्था की जांच ओर डिलेवरी किया जा रहा था अस्पताल को शील्ड कर जांच की जा रही है इस मौके पर करैरा बीएमओ रोहित भदकारिया दिनारा स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी अखिलेश शर्मा भी मौजूद रहे। अब सवाल यह खडा होता कि पिछले कई सालो से यह अस्पताल चल रहा था,करैरा से लेकर शिवपुरी के सभी अधिकारियों को इस अवैध काम की जानकारी थी,लेकिन इस कार्यवाही नहीं की गई। यह मामला अगर सुर्खियो मे नही आता तो इस अस्पताल को अभी भी सील नही किया जाता। शिवपुरी जिले में स्वास्थ्य विभाग का अंधा कानून चल रहा है।