शिवपुरी। मध्य प्रदेश शासन की किसी भी योजना को सफलतापूर्वक जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की होती है। खासकर एक बड़ा वर्ग इस योजना से लाभा`विंत होता। शिवपुरी शहर के प्रत्येक दूसरे परिवार का एक बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढते है। निजी स्कूल संचालक और प्राइवेट पब्लिशर्स की लूट खसोट से पैरेट सो को बचाने के लिए सरकार ने पुस्तक मेले का आयोजन कराया था लेकिन शिवपुरी का पुस्तक मेला जीएसटी चोरी,और कम डिस्काउंट और निजी स्कूलो की पुस्तक चुनिंदा दुकानदारों पर मिलने के कारण यह मेला फैल हो गया। हद तो तब हो गई जब शुक्रवार को पुस्तक मेले में पुस्तक विक्रेता अपनी दुकान लगाने नहीं पहुंचे और दुकानदारो ने शुक्रवार को दुकान नहीं खोली और शनिवार और रविवार को दुकानें बंद रखने का आह्वान कर दिया।
शुक्रवार को दुकान नही खोली
शुक्रवार को स्टेशनरी संचालकों ने न तो पुस्तक मेले में अपनी दुकानें खोलीं और न ही अपनी सामान्य स्टेशनरी दुकानों को खोला। इसके कारण हजारों उपभोक्ताओं को दिनभर प्रशासन द्वारा आयोजित पुस्तक मेले और स्टेशनरी दुकानों के चक्कर काटते हुए देखा गया। खास बात यह है कि अभिभावकों के आरोपों के बाद कलेक्टर ने भी बिना जीएसटी बिल के किताबें बेचने को गलत माना और डीईओ को फटकार लगाई। कलेक्टर ने कहा, क्या इस तरह से किताबें बिकवाएंगे? आप क्या मॉनिटरिंग कर रहे हैं?
एसडीएम ने सौंपी जांच रिर्पोट
इस बीच, एसडीएम उमेश कौरव ने पुस्तक मेले की जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी, जिसमें उन्होंने निजी स्कूल संचालकों, स्टेशनरी संचालकों और प्रकाशकों की सांठगांठ का खुलासा किया। गुरुवार शाम को एसडीएम और डिप्टी कलेक्टर ने मेले में निरीक्षण किया और पाया कि वहां बिना बिल के किताबें बिक रही थीं। वहीं, दुकानदारों को थैली में किताबों का बंडल बेचते देखा तो इसे प्रशासन ने नियमों का उल्लंघन माना। एक और गंभीर बात यह सामने आई कि यहां न तो एनसीईआरटी की किताबें रखी गईं और न ही प्रकाशकों की लिस्ट प्रदर्शित की गई।
दिनभर किताबें तलाशते रहे अभिभावक, बंद मिलीं दुकानें
शुक्रवार को अभिभावक किताबें खोजते रहे, लेकिन पुस्तक मेले और स्टेशनरी दुकानों पर किताबें उपलब्ध नहीं थीं। सैंट बेनेडिक्ट स्कूल के छात्र पीयूष धाकड़ ने बताया कि उन्होंने भारती पुस्तक सदन और शा उमावि क्रमांक 02 दोनों जगहों पर किताबें खोजी, लेकिन दुकानें बंद पाई।
कलेक्टर बोले-अभिभावकों से छलावा मत करिए
स्टेशनरी संचालकों ने शुक्रवार को एसडीएम कार्यालय में किताबों के बिल सौंपे, जिनकी जांच अब की जा रही है। प्रशासन का मानना है कि 5% रिबेट पर्याप्त नहीं है, लेकिन संचालकों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। चौधरी ने बैठक में कहा, 'अभिभावकों से छलावा मत करिए।' इसके बाद स्टेशनरी संचालकों ने निर्णय लिया कि वे न तो पुस्तक मेले में जाएंगे और न ही रविवार तक अपनी दुकानों को खोलेंगे। वे सोमवार से दुकानें खोलने की बात कर रहे हैं।
दबाव से कैसे चलेगा
हम सब ने तय किया है कि सोमवार से पहले दुकानें नहीं खुलेंगी। हम निजी स्कूल संचालकों से भी कह चुके हैं और प्रशासन को भी अवगत करा दिया है। इधर प्रशासन दबाव बनाए उधर उपभोक्ता दबाव बनाए ऐसा कब तक चलेगा।
-विमल जैन, सन्मति स्टेशनरी संचालक शिवपुरी
पुस्तक मेले में खामियां ही खामियां नजर आईं
हमें तो पुस्तक मेले में खामियां ही खामियां नजर आयीं। एनसीईआरटी का कोर्स नहीं था। न ही जीएसटी नंबर और न ही प्रकाशन का बिल। सब कुछ मिलावटी लग रहा था। हमने इस मामले की पूरी रिपोर्ट प्रतिवेदन के रूप में कलेक्टर साहब को दे दी है। शिक्षा विभाग भी इसमें दोषी है। निजी स्कूल संचालक तो दोषी हैं हीं।
उमेश कौरव, एसडीएम शिवपुरी