SHIVPURI NEWS - स्वास्थ्य कर्मियों ने जलाई NHM एमडी के आदेश की होली, सौंपा विधायक को ज्ञापन

Bhopal Samachar

शिवपुरी। अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 4 दिनों पर तपती दोपहरी में  हड़ताल कर रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक के उस आदेश को आग के हवाले कर दिया जिसमें समस्त जिला कलेक्टरों को हड़ताल कर रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत प्रदेश में लगभग 32000 संविदा कर्मचारी विभिन्न पदों पर कार्यरत है। जो शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार द्वारा घोषित एवं सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेशित संविदा नीति का पालन कराने और नई भाजपा सरकार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा घोषित संविदा नीति को रद्द कराने की 10 सूत्रिय मांग को लेकर पिछले 4 दिनों से हड़ताल पर है। जिससे शिवपुरी जिले सहित पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर आ गई है। हड़ताली कर्मचारियों से चर्चा करने के बजाय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक द्वारा सीधे उन पर कार्यवाही किए जाने का आदेश कलेक्टरों को जारी कर दिया। जिससे संविदा कर्मचारी और आक्रोशित हो गए। संविदा कर्मचारियों ने मिशन संचालक एनएचएम के आदेश को तुगलकी फरमान निरूपित करते हुए उक्त आदेश को आग के हवाले कर दिया।

उसके बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन शिवपुरी विधायक कैलाश कुशवाहा को सौंपा है। विधायक द्वारा भी उनकी बात सीएम मोहन यादव तक अविलंब पहुंचाने का भरोसा दिलाया है। ज्ञापन सौंपने वालों का नेतृत्व शेर सिंह रावत व सुनील जैन द्वारा किया गया। ज्ञापन सौंपने वालों में एक सैकड़ा से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी व अधिकारी उपस्थित रहे।

एमडी एनएचएम का आदेश संविदा कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन-शेर सिंह रावत
लोकतंत्र में अपनी बात रखने के सशक्त माध्यम हड़ताल है और संविदा कर्मचारी पिछले एक वर्ष से कई आवेदन देने के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हठ धर्मिता के कारण हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए हैं। मिशन संचालक द्वारा जारी पत्र क्रमांक/एनएचएम/एचआर/2025/802 दिनांक 25 अप्रैल 2025 संविदा कर्मियों को भी संविधान द्वारा प्रदत्त अपने अधिकारों को पाने एवं अपनी बात रखने के अधिकारों के विपरीत है। कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।