भोपाल। मध्यप्रदेश के शिवपुरी-श्योपुर जिले की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान समय में 17 चीते खुले जंगल मे है। चीते पर्यटकों को दिखाई दे रहे है जिससे कूनो में पर्यटन बढ़ रहा है। वही चीते कूनो की सीमा से भी बाहर निकल रहे है,इस कारण ग्रामीणों को भी चीतो के दीदार हो रहा है। डेढ़ माह पूर्व खुले जंगल में छोडे गई मादा चीता ज्वाला और उसके 4 शावक कूनो के चीतो मे से सबसे अधिक टीआरपी ले रहे है।
मादा चीता ज्वाला की फैमिली ने सबसे पहले पहले श्यामपुर के निकट गाय का शिकार करने के दौरान ग्रामीणों द्वारा पथराव करने और फिर उमरी कला में परात में पानी पीने को लेकर सुर्खियों में कूनो नेशनल पार्क की चीता ज्वाला फैमिली को अभी खुले जंगल में डेढ़ माह का ही समय हुआ है, लेकिन इन चीतों ने पूरा राष्ट्रीय उद्यान नाप लिया है। दो बार ये पार्क की सीमा से भी बाहर निकल चुकी है और ज्वाला और उसके 4 शावकों ने लगातार भ्रमण कर कूनो का अधिकांश क्षेत्र नाप लिया। अब ये ज्वाला फैमिली पार्क के क्षेत्र में अपनी अलग टेरिटरी तलाश रही है।
कूनो में ढाई साल के प्रोजेक्ट चीता में दो बार मां बन चुकी नामीबियाई मादा चीता ज्वाला (नामीबियाई नाम सियाया) को बाड़े से निकालकर उसके 4 शावकों के साथ 21 फरवरी को खुले जंगल में छोड़ा गया था। हालांकि पहले विशेषज्ञों ने ज्वाला के बारे में कहा था कि ये खुले जंगल में सर्वाइव नहीं कर पाएगी, लेकिन अब ये बीते डेढ़ माह में अपने शावकों के साथ लगातार पार्क में भ्रमण कर रही है।
ज्वाला फैमिली के पूरे कूनो क्षेत्र में भ्रमण से प्रबंधन भी खुश है। ज्वाला के शावक एक साल से ज्यादा के हैं और वजन में ज्वाला के बराबर हैं। विशेष बात यह है कि 21 फरवरी को इसे अहेरा जोन में छोड़ा गया था, लेकिन पिछले दिनों ये पार्क के बिल्कुल दूसरी ओर विजयपुर के अगरा क्षेत्र और वीरपुर के श्यामपुर क्षेत्र तक पहुंच गई।
बच्चो ने छोडा आशा का साथ
खुले जंगल में वर्तमान में 17 चीते हैं, जिसमें आशा फैमिली भी है। मादा आशा और उसके 3 शावक 5 फरवरी को खुले जंगल में छोड़े गए थे, लेकिन 3 दिन बाद ही उसके तीनों शावक आशा से अलग हो गए और अलग शिकार करते हुए जंगल में अपनी अलग टेरिटरी बना रहे हैं। तीनों नर शावक हैं, लिहाजा तीनों कोएलिशन में रह रहे हैं। दो दिन पहले ही आशा के ये तीनों शावक अहेरा क्षेत्र में पर्यटकों भी नजर आए थे।
इनका कहना है
कूनो के खुले जंगल में सभी 17 चीते बेहतर कर रहे हैं। ज्वाला और उसके 4 शावक तो पिछले डेढ़ माह में पूरा कूनो का जंगल घूम चुके हैं। जबकि आशा के तीनों शावक उससे अलग होकर भ्रमण कर रहे हैं।
उत्तम कुमार शर्मा, एपीसीसीएफ एवं डायरेक्टर, सिंह परियोजना श्योपुर-शिवपुरी