नरेंद्र जैन @ खनियांधाना। खनियाधाना के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय ( बीईओ ऑफिस ) में बहुत वित्तीय घोटाला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि कार्यालय के कुछ कर्मचारियों ने संगठित तरीके से अपने परिजनों व परिचितों के खातों में सरकारी फंड से 1 करोड़ 4 लाख 42 हजार 7 सौ 63 रुपए की राशि ट्रांसफर कर दी। यह गड़बड़ी भोपाल स्थित कोषा एवं लेखा कार्यालय की सतर्कता से उजागर हुई।
जांच का आदेश, समिति गठित
जैसे ही मामला उजागर हुआ, शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4 सदस्यीय जांच समिति गठित की। जांच की जिम्मेदारी पिछोर एसडीएम शिवदयाल सिंह धाकड़ को सौंपी गई है। एसडीएम ने बताया कि अभी जांच प्रारंभिक चरण में है , लेकिन दो सूचियां प्राप्त हुई हैं—एक में 40 लाभार्थी और दूसरी में 20 स्थाई कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। सभी के भुगतान बिलों की बारीकी से मिलान किया जा रहा है। 2018-19 से लेकर 2024-25 तक की अवधि के वेतन, मानदेय और एरियर भुगतान की फाइलों में हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है। इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर कपटपूर्ण तरीके से राशि वितरित की गई। जांच में दोष सिद्ध होने पर संबंधितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों का दावा: घोटालेबाजों में घबराहट
सूत्रों के अनुसार, घोटाले में संलिप्त कार्यालय के अधिकारियों और बाबुओं के चेहरे मुरझाए हुए नजर आ रहे हैं। जांच की आहट के बाद उनमें हड़कंप मच गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
विधायक प्रीतम सिंह लोधी ने इस घोटाले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैंने पहले ही विधानसभा में ऐसे मामलों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। अब परतें खुल रही हैं। दोषी नहीं बचेंगे, जेल जाएंगे।"
क्या यह सिर्फ शुरुआत है?
सूत्रों का मानना है कि यह घोटाला अकेला नहीं है। यदि खनियांधाना के अन्य शासकीय विभागों की जांच की जाए तो कई और मामले सामने आ सकते हैं। यह एक संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो संभवतः वर्षों से सक्रिय है। जांच प्रक्रिया पूर्ण होने तक संबंधित खाताधारकों और कर्मचारियों के नामों को गोपनीय रखा गया है।
जांच का आदेश, समिति गठित
जैसे ही मामला उजागर हुआ, शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 4 सदस्यीय जांच समिति गठित की। जांच की जिम्मेदारी पिछोर एसडीएम शिवदयाल सिंह धाकड़ को सौंपी गई है। एसडीएम ने बताया कि अभी जांच प्रारंभिक चरण में है , लेकिन दो सूचियां प्राप्त हुई हैं—एक में 40 लाभार्थी और दूसरी में 20 स्थाई कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। सभी के भुगतान बिलों की बारीकी से मिलान किया जा रहा है। 2018-19 से लेकर 2024-25 तक की अवधि के वेतन, मानदेय और एरियर भुगतान की फाइलों में हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है। इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर कपटपूर्ण तरीके से राशि वितरित की गई। जांच में दोष सिद्ध होने पर संबंधितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों का दावा: घोटालेबाजों में घबराहट
सूत्रों के अनुसार, घोटाले में संलिप्त कार्यालय के अधिकारियों और बाबुओं के चेहरे मुरझाए हुए नजर आ रहे हैं। जांच की आहट के बाद उनमें हड़कंप मच गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
विधायक प्रीतम सिंह लोधी ने इस घोटाले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैंने पहले ही विधानसभा में ऐसे मामलों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। अब परतें खुल रही हैं। दोषी नहीं बचेंगे, जेल जाएंगे।"
क्या यह सिर्फ शुरुआत है?
सूत्रों का मानना है कि यह घोटाला अकेला नहीं है। यदि खनियांधाना के अन्य शासकीय विभागों की जांच की जाए तो कई और मामले सामने आ सकते हैं। यह एक संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो संभवतः वर्षों से सक्रिय है। जांच प्रक्रिया पूर्ण होने तक संबंधित खाताधारकों और कर्मचारियों के नामों को गोपनीय रखा गया है।