नलो में पानी नही,पेयजल के लिए 2 किलोमीटर की डगर,पलायन को मजबूर ग्रामीण

Bhopal Samachar

शिवपुरी। गर्मियां शुरू होते ही ग्रामीण इलाकों में पेयजल संकट गहराने लगा है। नल जल योजना में नल के कनेक्शन तो दिए, लेकिन पानी नहीं आ रहा। जो टंकियां बनाई, वो सुखी पड़ी हैं। हैंडपंप भी साथ छोड़ चुके हैं। गांव के लोगों को प्यास बुझाने के लिए 2-2 किमी दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है। ये स्थिति कोलारस से साखनौर गांव की है। इधर सतनवाड़ा के पास स्थित पतारा गांव में हालात और भी खराब हैं। गांव के बोर, हैंडपंप सूख चुके हैं। हाइवे के दूसरी तरफ कुआं है, जिसे करीब डेढ़ किमी दूर स्थित एक बोर से भरा जाता है। महिलाएं हाईवे क्रॉस करके इसी कुएं से पानी भरकर लाती हैं। ग्रामीणों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर से पेयजल आपूर्ति करने की गुहार लाई है।

कुंए को बारे से भरना पड रहा हैं
सतनवाड़ा के पास स्थित पतारा गांव में करीब 200 घरों की बस्ती है। यहां पानी के लिए हैंडपंप है, लेकिन उससे कभी पानी आता है तो कभी नहीं आता है। कुछ समय पहले सरपंच ने एक बोर कराया, लेकिन उसमें कुछ फंस जाने के कारण अब पानी नहीं आ रहा है। गर्मियों में समस्या अधिक बढ़ गई है। लोग सरपंच से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी तरफ से भी इस मामले में अब तक कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। गांव से करीब एक किमी दूर हाइवे के दूसरी तरफ स्थानीय ग्रामीण सुरेश का कुआ है। यूं तो इस कुएं में भी पानी नहीं है, लेकिन इससे करीब आधा किमी दूरी पर ध्रुव सिंह का बोर है। इसमें पानी आ रहा है, इसलिए ग्रामीण पाइप डालकर बोर से कुए को भरते हैं।

हाईवे को पार करना पडता है रहती है चिंता
पतारा गांव की महिलाएं दैनिक उपयोग के लिए हाईवे पार करके इस कुए तक जाकर पानी भरकर लाती हैं। जबकि जिन लोगों के घरों में ट्रैक्टर है, वह सारे बर्तन इसे डालकर ले जाते हैं और ट्रैक्टर के जरिए पानी लेकर आते हैं। जब तक लौटते नहीं, चिंता लगी रहती हैः गांव के रामवीर आदिवासी बताते हैं कि पूरा गांव पानी की समस्या से परेशान है। हमारे यहां ट्रैक्टर या कोई बड़ी गाड़ी नहीं है, हम भी काम पर चले जाते हैं। ऐसे में महिलाएं ही हाइवे पार करके पानी भरकर लाती हैं। जब तक महिलाएं सकुशल वापस नहीं लौट आती, चिंता तो लगी ही रहती है।

टंकी में पानी नहीं, नल भी टूटे, अब बिजली का भी संकट
कोलारस के साखनौर गांव में करीब 35-40 मकानों की बस्ती है। इस गांव में नल जल योजना की पाइप लाइन बिछाई गई, टंकी भी बनाई गई, लेकिन गर्मी में सब बेकार साबित हुआ। टंकी सूखी पड़ी है, नल टूटे पड़े हैं, हैंडपंप भी पानी छोड़ चुके हैं। गांव की महिलाएं करीब 6 माह से पानी करीव दो किमी दूर से डगर से भरकर लाती है।

अब तक तो मौसम में ठंडक थी तो दिक्कत नहीं थी, साथ ही पानी की जरूरत भी कम पड़ती थी। गर्मी में पानी की खपत बढ़ गई है, साथ ही भीषण गर्मी में इतनी दूर से पानी लेकर भी आसान नहीं होता है। जिससे लोगों की परेशानी खासी बढ़ गई है। फिर भी लोग जैसे-तैसे काम चला रहे थे। उधर दो माह पहले बिजली कंपनी की टीम गांव में पहुंची और डीपी उखाड़ ले गई। अब जब पानी के साथ ही बिजली का संकट भी खड़ा हो गया तो गांव के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। गुस्साए ग्रामीण मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी से मिले और पूरी समस्या बताई। जिसमें सरपंच एवं सचिव पर भेदभाव का भी आरोप लगाया है।

नहीं मिला पानी तो छोड़ना पड़ेगा गांव
साखनौर गांव की नारायणी देवी ने बताया कि पानी की लाइन डली, लेकिन नल आते ही नहीं है। टंकी बनाई, लेकिन बंद पड़ी है, यहां मोटर भी बंद है। दो किमी दूर से पानी भरकर लाते हैं। अब तो बिजली भी नहीं है। यदि समाधान नहीं हुआ तो हमे गांव ही छोड़ना पड़ेगा।

इनका कहना है
इस प्रकार की शिकायत मिली है. हमने पीएचई और जिला पंचायत को इस संबंध में निर्देशित किया है। जहां भी दिक्कत है, वहां तुरंत समाधान कराया जाएगा।
रवीन्द्र कुमार चौधरी कलेक्टर शिवपुरी।