शिवपुरी। शहर के अति रमणीय सिंधिया छत्री स्थल परिसर में स्थित भगवान भोलेनाथ की आराधना के दौरान, जहां पहले विशेष अवसरों पर 5 तोपों से भगवान को सलामी देने के लिए बारूद छोड़ा जाता था, जिससे तेज धमाका और धुंआ होता था, अब इसे बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
पुरातात्विक धरोहर के संरक्षण और पर्यावरण के संरक्षण की पहल करते हुए, सिंधिया छत्री ट्रस्ट ने एक नया बदलाव किया है। अब इन तोपों में बारुद की जगह फूलों का ढेर भरा जाएगा, ताकि न केवल आवाज का प्रदूषण समाप्त हो, बल्कि धुंआ निकलने से पर्यावरण को भी कोई क्षति न पहुंचे।
छत्री ट्रस्ट के मैनेजर अशोक मोहिते के अनुसार, छत्री परिसर में भगवान शंकर, भगवान राम, और भगवान कृष्ण की मूर्तियों के साथ-साथ कई पर्यटक क्षेत्र बने हुए हैं। यहां शिवरात्रि और छबीला पूजन जैसे विशिष्ट आयोजनों के दौरान, पहले परंपरा के अनुसार छत्री ट्रस्ट में मौजूद 11 तोपों में से 5 तोपों से बारुद छोड़ा जाता था। इस परंपरा को देखने के लिए लोग वर्षों से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस तरह की तोपें न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि इनका चलाने का भी कोई सामान्य तरीका नहीं है।
हालांकि, अब इस परंपरा में बदलाव किया गया है। जब ढोली बुआ के महाराज यहां कथा वाचक के लिए आते हैं, तो साल में कम से कम दो बार इस पर्व को मनाया जाता है। पहले जहां बारूद से तोप चलाई जाती थी, वहीं अब फूल भरकर तोपों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस बदलाव का प्रदर्शन छत्री ट्रस्ट के मैनेजर अशोक मोहिते ने खुद करके दिखाया। यह कदम न केवल पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि पुरानी परंपराओं में भी सकारात्मक बदलाव की ओर एक महत्वपूर्ण पहल है।
पर्यावरण का होगा संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण तो है ही साथ ही साथ यह छत्री स्थल हमारी धरोहर भी है। इस स्थल पर बड़े धमाकों के चलाने से जहां इस प्राचीन धरोहर को खतरा उत्पन्न हो सकता है वहीं परंपरा में थोड़े से बदलाव से इसका संरक्षण भी किया जा सकता है। इसलिए हमने यह बदलाव किया है।
अशोक मोहिते, मैनेजर छत्री ट्रस्ट शिवपुरी