शिवपुरी। अभी सहालगी सीजन चल रहा है, लेकिन अब लगभग सवा महीने तक मांगलिक कार्यों पर ब्रेक रहेगा, क्योंकि पहले 3 दिन तक होलाष्टक रहेगा, उसके बाद एक महीने का मलमास रहेगा। जिसके चलते अब इस सीजन में 6 मार्च को ही अंतिम विवाह मुहूर्त रहेगा। होली से पहले फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलाष्टक लगता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस बार होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होगा और ये 13 मार्च तक रहेगा। इसके ठीक बाद 14 मार्च से मलमास शुरू होगा, ये मलमास 13 अप्रैल तक चलेगा। ऐसे में 7 मार्च के बाद 13 अप्रैल तक विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होती है।
इस दौरान नए कार्यों की सफलता में कमी आ सकती है। ऐसे में 7 मार्च से शुरू होने वाले होलाष्टक के दौरान विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 13 मार्च को होलाष्टक खत्म होगा और इस दिन होलिका दहन भी होगा, इसके ठीक बाद 14 मार्च को मलमास शुरू होगा। इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक रहती है।
मृगशिरा नक्षत्र में शुरू होगा होलाष्टक
इस वर्ष 7 मार्च से होलाष्टक का आरंभ होगा। मृगशिरा नक्षत्र और वृषभ राशि में चंद्रमा की स्थिति में यह शुरू होगा। होलाष्टक के दौरान आठ विशेष रात्रियां होती हैं। होलाष्टक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक चलता है। इस दौरान अधिकतर स्थानों पर मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। ज्योतिषियों के अनुसार होलाष्टक की रात्रियां विशेष महत्व रखती हैं। इन रात्रियों में यंत्र-मंत्र और तंत्र साधना का विशेष फल मिलता है। सिद्ध रात्रि, कालरात्रि और मोह रात्रि जैसी विशिष्ट रात्रियां पर्व काल में अधिक शक्तिशाली होती हैं।
होलाष्टक को अशुभ क्यों मानते हैं
ज्योतिषियों के अनुसार होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। इसका मनुष्यों पर बड़ा असर पड़ता है। इसी कारण होलाष्टक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक के दौरान भगवान हनुमान, भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करने का विधान है। होलाष्टक में व्यक्ति को महामृत्युंजय मंत्र जाप करना चाहिए।