शिवपुरी। शिवपुरी जिले में भू-अर्जन घोटाले में अब एक नया मोड़ आया है,किसानों की जमीन को सिंचित करने के लिए धरातल पर उतारी जा रही 2208 करोड़ रुपये की लोअर उर सिंचाई परियोजना में हुए पांच करोड़ रुपये के भू-अर्जन घोटाला हुआ था। इस मामले में शुक्रवार को विशेष न्यायालय शिवपुरी ने चालान पुलिस को वापस कर दिया है। साथ ही प्रकरण में उचित कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि लोअर उर सिंचाई परियोजना में भू-अर्जन घोटाला सामने आने के उपरांत कलेक्टर रवीन्द्र कुमार चौधरी ने जब जांच शुरू करवाई तो घोटाला करने वालों को लगा कि मामले के दस्तावेजों को अगर जला दिया जाए तो पूरा प्रकरण ही खत्म हो जाएगा। इसी मंशा से 17-18 मई 2024 की की दरम्यानी अज्ञात आरोपितों ने कलेक्ट्रेट में स्थित भू-अर्जन शाखा में आग लगा दी। इस आगजनी के बाद जब पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो भ्रष्टाचार का प्रकरण सामने आ गया।
पुलिस ने इस प्रकरण में जांच उपरांत अभियुक्त रूप सिंह, सीमा, कमल, मुलायम, संजीव, अनिल, भग्गा,इमरत, गब्बर सिंह, कुसुम, रचना व उमेश के खिलाफ विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के न्यायालय में चालान पेश किया। इसी क्रम में 07 मार्च 2025 को न्यायालय ने सुनवाई करते हुए चालान पुलिस को वापस कर दिया है। साथ ही न्यायालय का कहना है कि जिन आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया गया है, वह लोकसेवक नहीं हैं।
ऐसे में इसलिए प्रकरण में धारा 13 (1) (ए) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत विचारण नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कोतवाली थाना प्रभारी को आदेशित किया है कि 15 दिवस में योग्य कार्रवाई संबंधित न्यायालय में करें।
पांच डिप्टी कलेक्टरों को आरोपित बनाने की मांग
लोअर उर सिंचाई परियोजना में भूमि अधिग्रहण मामले में मुख्य आरोपित बनाए गए एक निजी कंपनी के कंप्यूटर ऑपरेटर रूप सिंह ने अपने वकील के माध्यम से न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर 2020-2024 तक भू-अर्जन शाखा प्रभारी व पिछोर एसडीएम रहे अधिकारियों में शामिल डिप्टी कलेक्टर शिवांगी अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर अंकुर रवि गुप्ता, डिप्टी कलेक्टर केआर चौकीकर, डिप्टी कलेक्टर ब्रजेन्द्र यादव व डिप्टी कलेक्टर जेपी गुप्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर उन्हें भी आरोपित बनाने के लिए आवेदन दिया है,व कंप्यूटर आपरेटर दीपक खटीक के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज है।
यह बोले आरोपित के अभिभाषक
मेरा कोई भी आरोपित चूंकि शासकीय कर्मचारी नहीं है। इस कारण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत यह प्रकरण विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रचलन योग्य नहीं है। इस कारण विशेष न्यायालय ने इस प्रकरण को सामान्य धाराओं की तरह चलाने के लिए प्रकरण पुलिस को वापस किया है।
विजय तिवारी अभिभाषक ।
सरकारी कर्मचारी आरोपित नही बनाया
पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में किसी भी सरकारी कर्मचारी को आरोपित नहीं बनाया है। ऐसे में यह मामला भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत सुनवाई योग्य नहीं था। अगर अनुसंधान अधिकारी इस मामले में किसी शासकीय अधिकारी कर्मचारी को दोषी पाते हैं तो यह मामला भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रस्तुत होगा, अन्यथा की स्थिति में प्रकरण सामान्य न्यायालय में पेश किया जाएगा।
सुनील त्रिपाठी एडीपीओ।
इनका कहना है
मैंने अभी न्यायालय को आर्डर नहीं पढ़ा है। ऐसे में फिलहाल में प्रकरण में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। न्यायालय का आर्डर पढ़ने के बाद ही मैं कुछ बता पाऊंगा।
- अमन सिंह राठौड़ एसपी शिवपुरी।