खनियाधाना। मध्य प्रदेश के मुखिया व प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूर्व में जो भी शिक्षक अटैच किए गए थे उनके अटैचमेंट रद्द करते हुए सख्त निर्देश दिए थे कि कोई भी अटैचमेंट नहीं किये जायेंगे इसके के बावजूद खनियाधाना विकासखंड में शिक्षा विभाग की मनमानी अपने चरम पर है! नियम-कायदे ताक पर रखकर बीओ कार्यालय ने तीन शिक्षकों को जबरन अटैच कर लिया है, जिससे स्कूल में बच्चों की पढ़ाई ठप होने की नौबत आ गई। क्या बच्चों की शिक्षा से बड़ा कोई व्यक्तिगत फायदा है, जो अधिकारी इस तरह से तानाशाही चला रहे हैं?
क्या है पूरा मामला
शिक्षा विभाग में अटैचमेंट पर रोक के बावजूद विकासखंड खनियाधाना कार्यालय ने आदिवासी क्षेत्र के ग्राम गीता झलकुई एकीकृत शाला से तीन नियमित प्राथमिक शिक्षकों को अवैध रूप से अटैचमेंट देकर खींच लिया। पहले 28 नवंबर को नियमित प्राथमिक शिक्षक शिवा मिश्रा को विधानसभा सत्र के बहाने अटैच कर दिया गया, फिर 13 मार्च को दो नियमित प्राथमिक शिक्षिकाएं माधुरी अहिरवार और योगिता नागले को भी अटैचमेंट कर शाला से कार्यालय बुला लिया गया। अब हाल यह है कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं बचे सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे विद्यालय! बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है और अधिकारी चुप्पी साधे आराम से बैठे हैं।
बीईओ का तर्क या बहाना
बीईओ प्रकाश चंद्र सूर्यवंशी ने सफाई देते हुए कहा कि महिला शिक्षकों ने ग्रामीणों व शाला प्रभारी द्वारा मानसिक परेशान किए जाने की शिकायत की थी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर शिक्षकों को दिक्कत हो रही थी तो उनका समाधान स्कूल में किया जाना चाहिए था, न कि उन्हें विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में बैठा दिया जाता! क्या विकास खंड कार्यालय अब स्कूल बन गया है?
शिक्षा की बलि चढ़ा रहा सिस्टम
ग्रामीणों और अभिभावकों में जबरदस्त आक्रोश है। उनका कहना है कि विद्यालय में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है, ऊपर से इस तरह मनमाने अटैचमेंट से बच्चों की शिक्षा चौपट हो रही है और बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन आखिर नींद से कब जागेगा? क्या स्कूलों को केवल कागजों में चलाने का ही इरादा है?
अब होगा एक्शन या चलता रहेगा भ्रष्टाचार?
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है-क्या प्रशासन इस तानाशाही रवैये पर कोई कार्रवाई करेगा, या फिर शिक्षा के नाम पर यह खेल जारी रहेगा? अगर जल्द ही शिक्षकों की कोई व्यवस्था नहीं की गई तो बच्चों का भविष्य बर्बाद होता नजर आ रहा है!
सरपंच ने आरोपों को बेबुनियाद बताया
हालांकि, गताझलकूई के सरपंच खीला शिशुपाल यादव ने शिक्षकों के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि न तो किसी शिक्षिका को परेशान किया गया और न ही ऐसी कोई शिकायत मिली है। वे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने से चिंतित हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी समर सिंह राठौड़ ने स्पष्ट किया है कि विभाग में अटैचमेंट पर पूर्ण रोक है। उन्होंने कहा कि नियम विरुद्ध अटैचमेंट पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।