पिछोर। पिछोर अपर सत्र न्यायाधीश किशोर कुमार गहलोत की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को 20 साल के सश्रम कारावास और 11 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं, तीन अन्य आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक अमित कुमार वर्मा ने की।
अभियोजन के अनुसार, 25 नवंबर 2019 को पीड़िता की मां ने खनियांधाना थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 24 नवंबर 2019 को वह शाम करीब 4 बजे खाद लेने ग्राम चमरौआ गई थीं, जबकि उनकी 13 साल की बेटी और 16 साल का बेटा घर पर अकेले थे। जब वह लौटकर घर आईं, तो उनकी नाबालिग बेटी घर पर नहीं थी। पुलिस ने केस दर्ज कर तपतीश शुरू की और नाबालिग को बरामद किया।
नाबालिग के बयान के आधार पर पुलिस ने अशोक उर्फ आशिक लोधी, अरविंद लोधी, भगवान सिंह लोधी और पुष्पेंद्र लोधी के खिलाफ धारा 363, 366ए, 376(2) आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अशोक उर्फ आशिक लोधी को 7 साल और 4000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।
इसके अलावा, उन्हें पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए 20 साल के सश्रम कारावास और 11 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा भी सुनाई। जबकि, अन्य आरोपी अरविंद लोधी, भगवान सिंह लोधी और पुष्पेंद्र लोधी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया।