शिवपुरी। कहते है कि मॉ बच्चो की सर्वप्रथम गुरू होती है,लेकिन नवभारत साक्षरता कार्यक्रम अंतर्गत राज्य शिक्षा केन्द्र के द्वारा जिले में नवसाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए मूल्यांकन की परीक्षा में माँ की गुरु की भूमिका में बेटी नजर आई,इस दृश्य को जिसने देखा उसने सराहा। अपनी मॉ को साक्षर बनाने के लिए बेटी उसे परीक्षा ले गई और उसके पास ही परीक्षा होने तक उसके पास बैठी रही,यह तस्वीर शिवपुरी जिले के लिए मॉ बेटी के प्रेम की सबसे बेहत्तर तस्वीर है।
धैर्य के साथ 2 घंटे तक बैठी रही बेटी
शिवपुरी शहर के कन्या कन्या प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय परिसर में कोर्ट रोड पर निरक्षर प्रौढ़ परीक्षा देने पहुंचे। इस केन्द्र के एक परीक्षा कक्ष में एक बेटी अपनी मॉ के साथ बेठी,मामला जानने का प्रयास किया तो बताया गया कि शादी के 16 साल बाद अनपढ़ माँ को परीक्षा दिलाने के लिए सरकारी स्कूल में कक्षा 9 की छात्रा अपने साथ ले गई और तब तक साथ बैठी रही जब तक मां का पूरा पेपर नहीं हो गया। बेटी ने इस दौरान मां को कुछ बताया नहीं क्योंकि निगरानी के लिए दो शिक्षक तैनात थे, लेकिन मां बेहतर ढंग से पेपर दे और बीच में से उठकर न जाए इसलिए मां का धैर्य बनाने बेटी पूरे समय परीक्षा केंद्र में मौजूद रही।
बेटी की जिद ने साक्षर बना दिया मॉ को
महिला ने बताया कि 16 साल बाद उसकी बेटी ने पढ़ने की जिद की, इस वजह से स्कूल परीक्षा देने आई। उसने अपना नाम लिखने के साथ-साथ अक्षरों को मिलाकर पढ़ने का अभ्यास किया। जिसमें उसकी बेटी की मदद मिली, मन तो नहीं था कि पेपर देने आऊं लेकिन बेटी की जिद के आगे हार गई और मैं उसकी जिद पर परीक्षा देने परीक्षा कक्षा पहुंची।
बड़ौदी स्थित सर्किल जेल में बंदियों ने दी परीक्षा
इस दौरान जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी दफेदार सिंह सिकरवार ने जिले की बदौड़ी स्थित सर्किल जेल में परीक्षा का मुआयना करने पहुंचे। जहां जेल में परी सा दे रहे बंदियों का कहना था कि वह पहली बार किसी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में अब साक्षर होने के बाद हमें अंगूठा नहीं लगाना पड़ेगा और हम अंगूठा छाप नहीं कहलाएंगे। इस मौके पर डीपीसी व जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी दफेदार सिंह सिकरवार, ऐप्स अतर सिंह राजोरिया, ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अनुज गुप्ता व सीएसी मौजूद थे।
2142 केंद्रों पर 19 हजार ने साक्षर बनने दी परीक्षा
ग्राम पंचायत व शहरी स्तर पर बनाए गए जनचेतना केंद्रों पर 2 घंटे की परीक्षा आयोजित हुई। जिसमें जिले के 2142 केंद्रों पर 19 हजार से अधिक महिला, पुरुष साक्षर बनने के लिए परीक्षा देने पहुंचे। खास बात यह रही की परीक्षा के तत्काल बाद केंद्र प्रभारी द्वारा कापियों का मूल्यांकन कार्य कराया गया। इसमें कुल मूल्यांकन 150 अंकों में पढ़ना 50, लिखना 50, गणित के 50 अंक निर्धारित हैं। इसमें से प्रत्येक विषय में 33 फीसदी या अधिक अंक लाने पर ही उत्तीर्ण माना गया। खास बात यह है कि परीक्षार्थियों को 5 अंक की ग्रेस का भी प्रावधान है।