शिवपुरी। माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी देवी सरस्वती का प्राक्टय दिवस है। इसी दिन वीणा वादिनी भौतिक रूप से धरती पर प्रकट हुईं।देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत, कला, वाणी, मातृत्व, आध्यात्मिकता, विद्या, ग्रंथ, मन्त्र, तंत्र, ज्ञान, विद्या और नदियों की अधिष्ठात्री देवी हैं। भारतीय धर्म -संस्कृति में देवी सरस्वती के लिए भारती, शारदा, हंसवाहिनी ,वीणापाणि, वाग्देवी, भारती, आदि अनेक नामों का उल्लेख हुआ है।यह ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं।।
उक्त उद्गार म.प्र.लेखक संघ इकाई शिवपुरी द्वारा बसंत पंचमी पर आयोजित काव्योत्सव में सिंहल फाउंडेशन के अध्यक्ष व नई गजल के संपादक डॉ.महेन्द्र अग्रवाल ने व्यक्त किये।कार्यक्रम के अध्यक्ष दिनेश वशिष्ठ ने बसंत पंचमी से जुड़े विविध प्रसंगों की चर्चा करते हुए लोकजीवन में उसके महत्व को स्पष्ट किया।
एम.एस.द्विवेदी के विशिष्ट आतिथ्य व अजय जैन अविराम के संचालन में सभी साहित्यकारों ने मां सरस्वती के पूजन उपरांत मां की वंदना गाई।इस अवसर पर विजय भार्गव अशोक मोहिते रामबाबू शर्मा राकेश सिंह डॉ. मुकेश अनुरागी रामकृष्ण मौर्य राजकुमार चौहान भारतीय प्रदीप दुबे "सुकून शिवपुरी सम्मार शिवपुरी राधेश्याम सोनी राकेश भटनागर शिवकुमार भगवान सिंह यादव ने अपनी प्रेम व श्रंगार की मोहक रचनाओं से ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ ऋ़तुराज बसंत का स्वागत किया।