SHIVPURI NEWS - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रथम समाधि दिवस पर पहुंचे मंगल चरण

Bhopal Samachar

बामौरकलां। महाकवि आचार्य ज्ञानसागर सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुकमाटी महाकाव्य के रचयिता आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की स्मृतियों को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए उनके प्रथम समाधि दिवस पर मंगल चरण बामौर कलां में स्थापित किए गए। यह चरण सप्त धातु के हैं और 24 इंच के हैं। इन चरणों को 108 नगरों के सौभाग्यशाली परिवारों को प्राप्त होगा।

इस अवसर पर पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर बामौर कलां में ब्र. सुषमा दीदी एवं समस्त सिंघई परिवार को मंगल चरण स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। चरण चिह्न का अनावरण करने का सौभाग्य कुंदनलाल मोदी परिवार ने लिया।

इस सुअवसर पर नगर में विराजमान मुनि श्री 108 निरापद सागर जी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। मुनिश्री ने अपने गुरु चरणों की वंदना की। समस्त जैन समाज ने चरणों की आगवानी पर घर घर रंगोली व आरती की। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जीवन परिचय बहुत ही प्रेरणादायक है। उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा में हुआ था। उन्होंने अपनी दीक्षा आचार्य ज्ञानसागर से प्राप्त की और बाद में आचार्य पद प्राप्त किया।

उनकी रचनाएँ हिन्दी, संस्कृत, और अंग्रेजी में हैं। उन्होंने मूक माटी महाकाव्य की रचना की, जो एक प्रसिद्ध काव्य कृति है। विभिन्न संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की समाधि 18 फरवरी 2024 को डोंगरगढ़ (छत्तीसगढ़) के चन्द्रगिरि पर्वत पर रात 2 बजकर 30 मिनट समाधि ले ली थी। और देह त्याग दी और पंचतत्व में विलीन हो गए।

इस अवसर पर केंद्रीय सरकार द्वारा पूज्य आचार्य श्री का 100 रुपये का सिक्का जारी किया गया है। साथ ही मूक माटी महाकाव्य को रजत पत्र पर अंकित कराया गया है। इसके साथ ही परिषद जयशतक को भी भक्तगणों द्वारा रजत पत्र पर अंकित किया गया शिवपुरी जिले में प्रथम सौभाग्य बामौर कलां ग्राम को मिला।