SHIVPURI NEWS - कांग्रेस की बंद कमरे की रायशुमारी से निकले जिला अध्यक्ष के लिए 9 नाम

Bhopal Samachar

शिवपुरी। प्रदेश स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त होने के बाद अब कांग्रेस पार्टी जिला और ब्लॉक स्तर पर अपने पदाधिकारियों के चुनाव में जुट गई है। इसी क्रम में रविवार को प्रदेश के संगठन सह सह प्रभारी चंदन यादव शिवपुरी पहुंचे और उन्होंने सर्किट हाउस में जिले के कांग्रेस नेताओं से बंद कमरे में रायशुमारी की।

खास बात यह रही कि बैठक के दौरान प्रदेश पदाधिकारी नेताओं से सवाल-जवाब करते नजर आए, जबकि सर्किट हाउस के बाहर कांग्रेस नेता जातिगत आधार पर खुद को जिला अध्यक्ष का दावेदार मानते हुए अपने-अपने दावे प्रस्तुत किए।

रविवार दोपहर जब चंदन यादव सर्किट हाउस पहुंचे, तो सबसे पहले उन्होंने पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, प्रागीलाल जाटव, पोहरी विधायक कैलाश कुशवाहा और अन्य नेताओं से बंद कमरे में वन टू वन चर्चा की। इस दौरान लगभग 20 ब्लॉक अध्यक्षों से भी विचार-विमर्श किया गया, जिसमें संगठन के कामकाज, समस्याएं और सुझावों पर बातचीत की गई।

इस बैठक के दौरान अधिकांश नेताओं ने जिला अध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग शुरू कर दी और अपनी उम्मीदवारी का नाम बंद कमरे में पेश किया। वहीं, सर्किट हाउस के बाहर कांग्रेस नेता रघुराज धाकड़ और रिटायर्ड डीएसपी नरेंद्र आर्य खड़े थे। जब उनसे पूछा गया कि आपने रायशुमारी में क्या कहा, तो उन्होंने बताया कि फिलहाल विधायकों और पूर्व विधायकों से रायशुमारी की गई है, लेकिन उनका नंबर नहीं आया।

रघुराज धाकड़ ने कहा कि धाकड़ समाज के पास सवा लाख वोट हैं, ऐसे में ओबीसी वर्ग से वह बेहतर जिला अध्यक्ष साबित होंगे। वहीं, नरेंद्र आर्य ने कहा कि एससी वर्ग के वोट डेढ़ लाख से अधिक हैं और उनका प्रशासनिक अनुभव भी है। उनके अनुसार, वह राजनीति में भी लंबे समय से सक्रिय हैं और उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने का हक है।

कुल मिलाकर, नेता बाहर बातचीत में जातिगत आंकड़े दिखाकर अपने-अपने दावे पेश करते दिखाई दिए, जबकि अंदर बंद कमरे में प्रदेश सह प्रभारी से रायशुमारी हो रही थी। इस दौरान जिला अध्यक्ष पद के लिए लगभग 9 नाम सामने आए।

जब प्रदेश सह प्रभारी चंदन यादव से यह पूछा गया कि कांग्रेस संगठन लगातार कमजोर हो रहा है और हर जगह हार मिल रही है, तो उन्होंने जवाब में कहा कि उन्हें मध्य प्रदेश में 6 दिन का विजिट करना है और इस दौरान वह कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे हैं। उनका लक्ष्य कमजोर संगठन को मजबूत बनाना है। हालांकि, अधिकांश सवालों के जवाब देने से बचते हुए उन्होंने गोलमोल जवाब दिए।