SHIVPURI NEWS - जैन मंदिर में शांतिधारा देखते हुए 103 वर्ष की नन्नू बाई का समाधि मरण

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा में आने वाली बामौरकलां पंचायत में निवास करने वाले 103 वर्ष की नन्नू बाई का आज सुबह बामौरकलां के जैन मंदिर में अभिषेक शांतिधारा देखते हुए समाधि मरण हो गया। नन्नू बाई की अंतिम यात्रा दोपहर 3 बजे के बाद निज निवास से प्रारंभ होकर मुक्तिधाम पहुंचेगी।

नन्नू बाई पिछले 40 साल से अधिक आध्यात्मिक पथ पर थी। आचार्य आचार्य विद्यासागर सागर जी महाराज से नन्नूबाई ने प्रतिमा व्रत लिया था,वर्तमान समय में 7वीं प्रतिमा धारी है। नन्नूबाई सुबह साढे 3 बजे अपना विस्तर छोड देती थी इसके बाद अपनी दैनिक चर्या से निवृत होकर पूजा पाठ का क्रम शुरू करती है,नन्नू बाई प्रतिदिन सुबह 6 बजे मंदिर जाती थी और 9 बजे वापस आती है,वही शाम को 5 बजे से 6 बजे तक का समय मंदिर में गुजरता है जैन धर्म ग्रंथों का स्वाध्याय प्रतिदिन करती है और सबसे बडी बात णमोकारी महामंत्र की 108 माला का जाप प्रतिदिन होता है,आज भी यही हुआ था कि सुबह नित्य कर्म करते हुए सुबह 6 बजे नन्नूबाई पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंच गई थी और सुबह 8 बजे मंदिर में पार्श्वनाथ भगवान का अभिषेक और शांतिधारा चल रही थी उसी समय नन्नूबाई ने अपने प्राणों का त्याग कर दिया।

20 अगस्त 2024 को शिवपुरी समाचार से बातचीत के अंश

20 अगस्त 2024 को शिवपुरी समाचार ने दादी अम्मा के जीवन पर एक खबर का प्रकाशन किया था इस खबर में दादी अम्मा से बातचीत पर यह अंश प्रकाशित किए थे कि मेरी उम्र 103 साल हो चुकी है। मैंने जीवन में कई कठिनाइयां देखे हैं। दो महामारियों का सामना किया है, पहले हैजा और फिर COVID-19। पर मैंने कभी हार नहीं मानी। इन बीमारियों से लड़ाई में मैंने कभी भी किसी दवाई का सहारा नहीं लिया, सिर्फ अपने साहस और विश्वास के बल पर इनसे जीत पाई। आज मैं देखती हूँ कि लोग मुझे याद करते हैं, और मेरी कहानी सुनते हैं, तो मेरा दिल गर्व से भर जाता है। मेरे जीवन का संदेश यही है कि अगर हमारे दिल में समाज के लिए कुछ करने का जुनून और साहस हो, तो हम बड़े से बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

गरीबो की मदद और जीवन ग्रंथ बेटे लिए बनी उपलब्धि

कहा जाता है कि मां के पैरों तले स्वर्ग होता है,संसार में सबसे पहली गुरू मॉ होती है और संसार में सबसे महान है तो वह मां है। नन्नू बाई ने जो गरीबो की हर समय मदद की,स्वयं अपने पैरो पर खडी होकर व्यापार किया। इस कारण ही नन्नूबाई का जीवन दूसरों के लिए दिशा बना,इसका आगे चलकर बेटे को मॉ की विरासत में मिला। नन्नूबाई के बेटे प्रकाश चंद जैन दो बार गांव के ग्राम प्रधान बने,नन्नूबाई के परिवार में अब सदस्यों की संख्या 38 है। कोई डॉक्टर है कोई इंजीनियर है,नारी का आगे बढने की प्रेरणा देने वाली नन्नूबाई के परिवार की कई महिला डॉक्टर है और इंजीनियर है। वर्तमान समय में बामौरकला में रहने वाली नन्नू बाई अपने पोते डॉ सी के जैन के साथ निवास कर रही थी। डॉ सी के जैन 30 साल पहले बामौरकला निवास करने आ गए थे,इसी स्थान से आज नन्नू बाई की अंतिम यात्रा धूमधाम से निकाली जाऐगी।