SHIVPURI NEWS - करैरा की कालीपहाडी में करनाल की जौ की पैदावार शुरू, शुगर वाले मरीजों को रामबाण

Bhopal Samachar

शिवपुरी।  कृषि वैज्ञानिक छिलका रहित जौ की नई किस्म तैयारी का परीक्षण कर रहे हैं। जौ की इस नई किस्म के लिए शिवपुरी के किसानों ने 5 हेक्टेयर में बोवनी की है। परीक्षण सफल रहा तो छिलका रहित जौ डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण मबाण साबित होगा। क्योंकि गेहूं की अपेक्षा जौ में ग्लूटेन की मात्रा 3 गुना कम रहती है।

जानकारी के मुताबिक भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा जौ की छिलका रहित किस्म ईजाद की जा रही है। करनाल के कृषि वैज्ञानिकों ने शिवपुरी के दो किसानों को जौ की नई किस्म परीक्षण के लिए उपलब्ध कराई है।

शिवपुरी जिले के करैरा स्थित काली पहाड़ी गांव में किसान मुकेश पाल और कल्ली तिवारी द्वारा जौ का उत्पादन लिया जा रहा है। दरअसल गेहूं में ग्लूटेन की मात्रा लगभग 60% रहती है। गेहूं की अपेक्षा जौ में ग्लूटेन 20% ही रहता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए गेहूं नुकसानदायक है। जौ की छिलका रहित किस्म ईजाद होती है तो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होगी।

जिन किसानों ने छिलका रहित जौ की पैदावार ली है, कितना उत्पादन विश्लेषण होगा। छिलका रहित जौ की नई किस्म का फिलहाल कोई नाम नहीं दिया गया है। उसके बाद जौ की इस किस्म को नया नाम दिया जाऐगा।

छिलका रहित जौ से सेहत का होगा फायदा

श्रेसिंग के दौरान गेहूं बीज का छिलका तुरंत उतर आता है, लेकिन का छिलका दाने के साथ कठोरता से चिपका रहता है। इस कारण जौ को खाने में कम ही इस्तेमाल लिया जाता है। ज्यादातर लोग खाने में गेहूं का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, लेकिन छिलका रहित जौ की किस्म तैयार होने से लोगों की सेहत के लिए सबसे बड़ा फायदा होगा।

इस साल जौ की नई किस्म ईजाद हो जाएगी

बिना छिलके वाली जौ की नई किस्म करनाल के कृषि वैज्ञानिक ईजाद कर रहे हैं। इस साल जौ की यह नई किस्म तैयार हो जाएगी। नई किस्म का बीज दो साल मिल पाता, इसलिए पहले ही बीज मंगाकर किसानों को उपलब्ध कराया है। रबी सीजन में किसान जौ की पैदावार ले रहे हैं। गेहूं की तरह ही छिलका रहित जी फसल खेतों में अच्छी दिख रही है। -
संजय पहारिया, व्यापारी एवं जिलाध्यक्ष, भारतीय उद्योग व्यापार संघ शिवपुरी