SHIVPURI NEWS - खंडित मूर्तियों को बड़ी श्रद्धा से पूजा जाता है, मुगल काल में तोडी थी माता की मूर्ति

Bhopal Samachar

करैरा। सनातन धर्म में खंडित मूर्तियों के संबंध में धार्मिक मान्यता है कि अगर ऐसी मूर्तियों की पूजा की जाती है तो पूरा फल नहीं मिल पाता है। मन को शांति नहीं मिलती है। टूटी मूर्ति की पूजा करते समय जैसे ही हमारी नजर मूर्ति के टूटे हिस्से पर जाती हैं, हमारा मन भटक जाता है और पूजा में एकाग्रता नहीं बन पाती है,लेकिन करैरा अनुविभाग के अमोला थाना सीमा में आने वाले सिरसौद गावं में वर्षो से बड़ी माता के रूप में खंडित मूर्तियों की पूजा की जा रही हैं।

खंडित प्रतिमाओं के बावजूद श्रद्धालुओं की अटूट भक्ति यह साबित करती है कि भव्यता से अधिक पूजा का आधार श्रद्धा और विश्वास है। इस मंदिर की अनूठी मान्यता है कि यहां मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं और इसका प्रमाण स्थानीय लोगों द्वारा साझा किए गए अनुभवों में मिलता है।

मुगल शासन काल के दौरान खंडित हुई इन प्रतिमाओं की पवित्रता और दिव्यता में कोई कमी नहीं आई है। आज भी बड़ी माता के इस मंदिर पर श्रद्धालु यहां संतान प्राप्ति, नौकरी और अन्य मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं। नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से इस मंदिर में पूजा-अर्चना का भव्य आयोजन होता है। ग्रामीण महिलाएं बड़ी संख्या में यहां एकत्रित होकर पारंपरिक भोजन बनाती हैं और सांस्कृतिक उत्सव का आनंद लेती हैं।

मंदिर की वर्तमान जर्जर स्थिति इसके पुनर्निर्माण की आवश्यकता को दर्शाती है। यदि स्थानीय प्रशासन और समाज मिलकर इसके संरक्षण और विकास के लिए प्रयास करें तो यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल बना रहेगा बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी बन जाएगा।

यह मंदिर इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि भक्ति का सार भव्यता में नहीं बल्कि लोगों के विश्वास और निष्ठा में निहित है। ऐसे प्रयास न केवल इस विरासत को सहेजेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इससे प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करेंगे।