हार्दिक गुप्ता कोलारस-नामा । नए साल की शुरुआत से ही शिक्षा विभाग को बदनाम करने वाली खबरें आ रही है। एक निजी स्कूल में 9वीं क्लास की स्टूडेंट के साथ बलात्कार के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कटर का मामला गरमा गया था। इस मामले की गूंज अभी शांत नहीं हुई थी कि उसके बाद कोलारस के एक निजी स्कूल मे पढने वाले एक स्टूडेंट ने शिक्षक से परेशान होकर सुसाइड कर लिया। इस मामले में बड़ा खुलासा यह हुआ है कि सुसाइड करने वाला स्टूडेंट 12वीं क्लास में पढता था और स्कूल की मान्यता केवल 10वीं क्लास तक थी।
कोलारस के ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के 12वीं क्लास में पढने वाले स्टूडेंट बंटी धाकड ने बीते दिनो शिक्षक की प्रताड़ना से तंग आकर रेल के नीचे आकर अपनी जीवन समाप्त कर लिया। स्टूडेंट की मौत के बाद मृतक स्टूडेंट की एक वीडियो वायरल हुई थी। इस वीडियो ने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने स्कूल के शिक्षक विनोद सिकरवार को बताया था। कोलारस थाने में सरकारी शिक्षक विनोद सिकरवार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
लेकिन सवाल अभी जिंदा है डीईओ को देने होंगे जवाब
कोलारस में स्थित ज्ञान पब्लिक स्कूल की मान्यता दसवीं क्लास तक है और स्कूल संचालित किया जा रहा था। यह शिक्षा विभाग की एक गंभीर लापरवाही है इस स्कूल की अंतिम मान्यता रूनुअल शिक्षा सत्र 2022-2023 मे हुआ था।
मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग की 10वीं क्लास की मान्यता के नियमो की बात करे तो संस्था का शाला भवन उसके द्वारा धारित भूमि पर ही निर्मित होगा और उसका निर्मित क्षेत्रफल हाईस्कूल के लिए न्यूनतम 200 वर्ग मीटर अथवा 2000 वर्ग फीट व हायर सेकेण्डरी के लिए 250 वर्ग मीटर अथवा 2600 वर्ग फीट होना अनिवार्य है।
यदि संस्था प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल / हायर सेकेण्डरी की कक्षाएं चला रही हो तो न्यूनतम निर्मित क्षेत्रफल 375 वर्ग मीटर अथवा 4000 वर्ग फीट होना चाहिये। परन्तु प्रत्येक छात्र के लिए अध्यापन क्षेत्र का स्थान एक वर्ग मीटर उपलब्ध होना चाहिए। जिस भूमि पर भवन निर्मित है अथवा होगा वह केवल धारित भूमि के 40 प्रतिशत पर ही होगा, शेष 60 प्रतिशत भूमि खुली रखी जायेगी।
इस प्रकार भवन से लगी हुई 600 वर्गमीटर अथवा 6000 वर्ग फीट खुली भूमि पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए उपलब्ध होना चाहिए। यदि संस्था का खेल मैदान उसके भवन से लगा हुआ स्थित है तो उपरोक्त खुली भूमि की पृथक से आवश्यकता नहीं होगी।
इसके अतिरिक्त हायर सेकेंडरी के प्राइवेट स्कूल की मान्यता के कम से कम 20 नियमो को ओर फलो करना होगा,लेकिन ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल में एक भी नियम को फॉलो नही किया गया है।
स्कूल का भवन निर्माण केवल 1100 वर्ग फीट में
ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के भवन की बात करे तो भवन 25 बाई 50 में निर्मित है यह भवन 2 मंजिला है,इस भवन के प्रथम तल पर स्कूल संचालित है और वही दूसरी मंजिल पर स्कूल के परिजन पर निवास करते थे। अब सवाल यह है जिला शिक्षा कार्यालय ने फिर इस स्कूल की मान्यता को कैसे रिन्यू कर दिया। अब मामला खुलकर सामने आ गया है,फिर भी इस स्कूल की मान्यता की जांच नहीं की गई।
जिले भर में मान्यता को नाम पर लाखों की वसूली
शिवपुरी जिले मे एक सैकड़ा से अधिक स्कूल ऐसे है जो मान्यता से अधिक की कक्षाएं संचालित कर रहे है। वही नियम विरूद्ध मान्याताए दी जा रही है। ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल को भी रिश्वत की दम पर ही मान्यता को रिनूअल किया गया था। इस मामले में इस स्कूल की मान्यता को रिनूअल करने वाले अधिकारियो की खिलाफ कार्यवाही आवश्यक है। कलेक्टर शिवपुरी रविन्द्र कुमार चौधरी को निजी स्कूलों की जांच करवानी चाहिए।
डीईओ की भूमिका संदिग्ध
इस पूरे कांड में जिला शिक्षा अधिकारी समर समर सिंह राठौर की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे मे आ रही है। एक बच्चे के सुसाइड काण्ड के बाद भी स्कूल की मान्यता की जांच नहीं करवाई गई। शिक्षा विभाग अब सरकारी स्कूल के टीचर विनोद सिकरवार को बचाने के लिए रिश्वत खाओ टीचर बचाओ के अभियान मे जुट गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी की सरपरस्ती ने शिक्षक को शैतान बना दिया
शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि, कुदोनिया शासकीय स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत विनोद सिकरवार एक कोचिंग सेंटर का भी संचालन करता है। यह सब कुछ खुलेआम करता है। जिला शिक्षा अधिकारी को सब कुछ पता है और कई बार मौखिक जानकारी भी दी जा चुकी है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की।
कहा तो यह भी जा रहा है कि कोलारस के अधिकारी, विनोद के कोचिंग सेंटर में शेयर होल्डर है। शिक्षक विनोद सिकरवार के खिलाफ तो पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है परंतु उसे मनमानी की छूट देने वाले जिला और विकासखंड के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही बाकी है।