शिवपुरी। सतनवाड़ा खुर्द निवासी रिटायर फौजी ने अपनी मेहनत और हौसले की दम पर बंजर पहाड़ को भी हरा भरा कर दिया है। इलाके में भैरो दास बाबा मंदिर के सामने मौजूद पहाड़ आज दूर से ही सरसों के पीले फूलों से ढका हुआ दिखाई दे रहा है। 65 साल के लक्ष्मीकांत माथुर की मेहनत का ही नतीजा है कि बंजर पहाड़ पर अनार, अमरूद, आंवला, नींबू, सेंजना की फली आदि लगना शुरू हो गए हैं।
पहाड़ पर वर्तमान में रिटायर फौजी द्वारा सरसों की खेती की जा रही है। मेहनत कर बुजुर्ग सालाना 3 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं। दरअसल सन 1990 में फौज के नायक पद से रिटायर हुए लक्ष्मीकांत माथुर को सरकार ने सन 1996 में एक बंजर पहाड़ खेती के लिए दिया। पथरीले पहाड़ पर हरे पेड़ लगाना एवं फसल उगाना फौजी के लिए एक चुनौती बन गया। बावजूद इसके रिटायर जवा हौसले ने हार नहीं मानी।
2001 से फौजी ने मजदूरों के साथ दिन-रात मेहनत करके पथरीले पहाड़ को ट्रैक्टर की * हो सके उनमें काली मिट्टी भरवाई। इतनी करके सहा खेती होना शुरू हुई। आज 1 हजार पौधों के साथ पहाड़ हरा भरा है। 10 साल लग गए। सन 2011 में पहाड़ पर सोयाबीन की
इस तरह से सफल हुआ फौजी का हौसला
रिटायर फौजी माथुर ने बताया कि शुरुआत में पहाड़ पर चढ़ना मुश्किल होता था, क्योंकि पहाड़ रेतीला एवं छोटे पत्थरों से भरा था। सरकार ने जब यह पहाड़ उन्हें खेती के लिए दिया तो उनके मन में कई सवाल आए, मगर उन्होंने अपने हौसले को परास्त नहीं होने दिया।
रिटायर होने के बाद फौजी ने पहाड़ को हरा-भरा करना ही अपनी आखिरी लड़ाई समझी। फौजी ने ट्रैक्टरों की सहायता से पहाड़ के एक एक बीघा के 10 टुकड़े करते हुए सीढ़ीनुमा खेत बनाए, काली मिट्टी भरवाई। दस खेतों की मेड़ पर फलदार पौधे लगाए। मजदूरों के साथ दिन रात मेहनत कर पहाड़ को उपजाऊ बनाया। इस दौरान 100 से ज्यादा बार पहाड़ पर ट्रैक्टरों को चलाया गया। वहीं फौजी ने अपने इकलौते बेटे को आर्मी में सेवा के लिए भेजा है।
पानी की समस्या आई तो बना दिया तालाब
फौजी ने बंजर पहाड़ को खोदकर समतल तो कर दिया, उसमें मिट्टी भी भरवा दी। फसल एवं पौधे उगाने के लिए उन्हें पहाड़ पर पानी की जरूरत पड़ी। जिसके बाद उन्होंने उस समय चल रही बलराम तालाब योजना का लाभ लिया, पहाड़ पर फसल को सींचने के लिए एक तालाब बना दिया। किसान समृद्धि योजना से एक हजार पौधे खरीदे और पहाड़ पर लगाना शुरू किए। जिसका नतीजा यह निकला की पथरीला एवं बंजर पहाड़ आज हरा भरा एवं फलदार हो गया है।