SHIVPURI NEWS - मेडिकल कॉलेज में गले से ऑपरेशन कर निकाली 500 ​ग्राम की गांठ

Bhopal Samachar

शिवपुरी। श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, शिवपुरी में पहली बार गले में थायराइड की गांठ होने पर थायराइड ग्रंथि को अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस द्वारा ऑपरेशन कर निकाला गया। मरीज के गले में थायराइड गांठ लगभग 500 ग्राम की बताई जा रही है। ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने गांठ काे बायोप्सी जांच के लिए मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग की लैब में भेजा है।

ईएनटी विभाग की डॉक्टर मेघा प्रभाकर ने बताया कि पिछले महीने मेडिकल कॉलेज में दिखाने आईं ग्राम नाहरई करैरा निवासी की एक महिला पिछले 5-6 साल से गले में थायराइड ग्रंथि के रोग से पीड़ा में थी। मरीज ने बताया कि इसके लिए उसने अन्य शहरों के कई बार चक्कर काटे। सारी जांच के उपरांत हमने ऑपरेशन की सलाह दी। मरीज की थायराइड ग्रंथि के 10 बाई 6 बाई 3 सेंटीमीटर की गांठ थी।

 श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में शुक्रवार को ऑपरेशन के दौरान अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस के साथ एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉक्टर शिल्पा अग्रवाल, ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉक्टर धीरेंद्र त्रिपाठी की टीम डॉक्टर मेघा प्रभाकर, डॉक्टर मीनाक्षी गर्ग सहित ओटी इंचार्ज प्रियंका शुक्ला की टीम ने ऑपरेशन में सहयोग किया।

मरीज को ऑब्जरवेशन के लिए रखा गया है, इस दौरान अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस का कहना था कि जब ईएनटी विभाग द्वारा मुझे थायराइड ग्रंथि गठान के बारे में बताया तो मैंने स्वयं ऑपरेशन करने को कहा और आज ऑपरेशन किया। ऑपरेशन पूर्ण रूप से सफल रहा और मरीज की आवाज व श्वास नली में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं पाई गई।

ऐसे मेजर ऑपरेशन के बाद मरीज स्वस्थ है। हां देरी होने पर गले में थायराइड गांठ से श्वास नली और आवाज जाने के साथ-साथ कैंसर का खतरा हो सकता था। सफल ऑपरेशन के लिए परिजनों ने मेडिकल कॉलेज की टीम का आभार जताया।

आवाज और श्वास नली का बचाना चुनौती
थाइराेडेक्टाॅमी यानि थायराइड ग्रंथि काे पूरा निकालना। यह मेजर ऑपरेशन था। गले से मस्तिष्क में जाने वाली सभी धमनियां, शिराएं और तंत्रिकाएं गुजरती है। गले मेंं थायराइड के ठीक नीचे आवाज तथा श्वास की नली होती है, उन्हें पूरी तरह से बचाकर ऑपरेशन करना होता है। थायराइड ग्रंथि को अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस द्वारा ऑपरेशन कर निकाला गया। मरीज को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है।  -
डॉ. धीरेन्द्र त्रिपाठी, नाक कान एवं गला रोग विशेषज्ञ

ऐसा मेजर ऑपरेशन पहली बार
मेडिकल कॉलेज में ऐसा मेजर ऑपरेशन पहली बार किया गया है। थायराइड ग्रंथि बहुत ही वैस्कुलर होती है, गले में आवाज व श्वांस तथा मस्तिष्क की धमनियों और शिराओं का जाल में होती है। इन सभी को बचाते हुए ग्रंथि को निकलनी पड़ती है, मरीज के परिजनों की सहमति तथा डॉक्टराें की पहल के कारण ऑपरेशन किया गया है। इसमें एनेस्थीसिया तथा ओटी स्टाफ का सहयोग रहा।
 डॉक्टर डी परमहंस (सर्जन)
अधिष्ठाता