शिवपुरी। वंश बढ़ाने के लिए बेटा होना आवश्यक है,इसी चाह के कारण कई महिलाएं लगातार गर्भ धारण कर लेती है और हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का रास्ता अपना लेती है। ऐसा ही कुछ हुआ बीते रोज जिला अस्पताल में,जहां प्रसूता की मौत के बाद मीडिया के कवरेज में जानकारी हासिल मिली की मृतक प्रसूता की यह पांचवी डिलीवरी थी। परिजनों ने कोलारस अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाते डॉक्टरो पर कार्यवाही की मांग की।
जानकारी के अनुसार कोलारस के ग्राम पारागढ़ के आदिवासी मजरा रामगढ़ की 30 वर्षीय महिला ज्योति उर्फ सोमवती पत्नी मोहन आदिवासी उम्र 30 साल को मंगलवार की रात उसके स्वजन प्रसव के लिए कोलारस लेकर पहुंचे। कोलारस में महिला की हालत लगातार बिगड़ती चली गई, जिसके चलते डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल में उपचार के दौरान महिला की मौत हो गई।
महिला की मौत के कारण जानने के लिए जिला अस्पताल ने प्रसूता का पीएम करवाया है। हालांकि मृतिका के स्वजनों ने इस मामले में कोलारस के चिकित्सकीय स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वह रात 8 बजे कोलारस स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच गए थे। वहां स्टाफ उन्हें तीन घंटे तक भर्ती किए रखा लेकिन उचित उपचार प्रदान नहीं किया, इस कारण प्रसूता की हालत खराब हुई।
इसके बाद जब प्रसूता को रेफर किया तो उन्हें रैफरल स्लिप नहीं दी गई, इस कारण उन्हें जिला अस्पताल में आधा घटे तक परेशान होना पड़ा। यही कारण है कि उसे उचित ऐसे में उसे रेफर किया गया था। डा ब्यास के अनुसार प्रसूता के यहां पहले से चार बेटियां है, लेकिन बेटे की चाह में वह पांचवा बेटा पैदा कर रही थी, जबकि उसका शरीर इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। उनके अनुसार मौत का कारण पीएम रिपोर्ट सामने आने के उपरांत पता लग सकेगा।
उपचार नहीं मिल पाने के कारण उसकी मौत हो गई। वहीं कोलारस बीएमओ आशीष व्यास का कहना है कि महिला रात 11:30 पर कोलारस आई थी। उसे रात 12:30 पर 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेज दिया गया। इसके अलावा यह आरोप निराधार है कि मरीज के साथ रेफर स्लिप नहीं भेजी गई। उनके अनुसार अगर 108 के चालक को रैफर स्लिप नहीं देते तो वह मरीज को एंबुलेंस से कैसे ले जाता और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कैसे किया जाता।
प्रसूता की मौत के बाद बुधवार को सुबह उसके स्वजन कोलारस स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और ड्यूटी डॉक्टर इंदू जैन सहित नर्सिंग स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके विरूद्ध कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उन्हें जांच का आश्वासन दिया, जिसके बाद मृतिका के स्वजन वहां से चले गए।
डॉक्टर बोले-
सिर्फ आठ ग्राम था हिमोग्लोबिन डा आशीष व्यास का कहना है कि प्रसूता पूरे नौ माह गर्भवती थी, परंतु ड्यूटी डॉक्टर इंदु जैन के अनुसार प्रसूता की बच्चादानी का मुंह खुला नहीं था। ऐसे में प्रसव संभव नहीं था। इसके अलावा उसका हिमोग्लोबिन सिर्फ आठ ग्राम था। बीपी लगातार गिरता जा रहा था। प्रसूता हाई रिस्क डिलेवरी थी।
यह बोले सीएमएचओ
प्रसूता का हिमोग्लोबिन पहुंच कम था। उसे पांचवी बार बच्चा था। वह हाई रिस्क प्रेगनेंसी थी। इससे पहले दो बार घर पर ही प्रसव हो चुका था। मौत का कारण पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। प्रथम दृष्टया स्वजनों के आरोप पूरी तरह निराधार है. सब कुछ आन रिकार्ड है। डा. संजय ऋषिश्वर, सीएमएचओ।