SHIVPURI NEWS -मेडिकल कॉलेज में फर्जी अंक सूची को 2 साल बाद मिली मान्यता

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी का मेडिकल कॉलेज में नए नए विवाद आमने सामने आते रहते है। अब खबर मिल रही है कि एक अभ्यार्थी की भर्ती प्रक्रिया में लगाई गई अंकसूची पर मेडिकल कॉलेज की टीम ने नकली और भ्रामक की मोहर लगा दी थी अब पुन:उस अंक सूची की जांच नकली बताने वाले अधिकारी ने की गई तो उस पर असली की मोहर लगा दी और उसे मान्यता भी प्रदान कर दी। जबकि असली और नकली का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।

चिकित्सा अभिलेख अधिकारी के पद पर प्रयोग हुआ अंकसूची का

श्रीमंत विजया राजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी में चिकित्सा अभिलेख अधिकारी के पद पर फर्जी डिग्री के आधार पर हुई भर्ती के मामले में एक और नया कारनामा उजागर हुआ है। जिस अधिकारी ने दो साल पहले संबंधित की अंकसूची को भ्रामक मानकर अपनी रिपोर्ट पेश की थी, दो साल उपरांत अब उसी अधिकारी को दस्तावेज उचित एवं नियमानुसार प्रतीत हो रहे हैं।

खास बात यह है कि एक ही अधिकारी द्वारा एक ही प्रपत्र की दो बार जांच की गई। एक बार वह प्रपत्र भ्रामक माना गया और दूसरी  बार   उसे मान्यता अनुसार माना। जबकि दूसरी रिपोर्ट तव पेश की गई है जब पूरा मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

2022 में की गई थी शिकायत

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल रिकार्ड अधिकारी को भर्ती हुई थी। इस पद पर मेडिकल कालेज में अंकुर जैन नामक अभ्यर्थी को चयनित किया गया था।

अंकुर के चयन उपरांत 18 मई 2022 को मामले में मंदसौर निवासी अभिजीत तिवारी नामक व्यक्ति ने मेडिकल कालेज के तत्कालीन डीन अक्षय निगम को मेल के माध्यम से अनुप्रमाणन पत्र में गलत हलफनामा एंट्री करने एवं आवश्यक अनिवार्य योग्यता नहीं होने संबंधी शिकायत दर्ज कराई। जांच के लिए
अंकुर जैन को तत्कालीन डीन के नाम से पत्र जारी किया गया।

2022 की जांच में अंकसूची को भ्रामक बताया

इसके अलावा डा. शशांक त्यागी एवं डॉ आशुतोष चौऋषि के दल ने 23 अगस्त 2022 को एक जांच रिपोर्ट पेश की जिसमें उल्लेख किया गया कि अंकुर के प्रपत्रों का गंभीर परीक्षण करने के उपरांत हमारा अभिमत है कि अंकुर के डिप्लोमा में जिन संस्थाओं से मान्यता प्राप्त होना दिखाया गया, वह पूर्णतः भ्रामक एवं गलत प्रतीत होता है। इसी मामले में इसी जांच पत्र के आधार पर डा. शशांक त्यागी ने 18 सितंबर 2024 को एक अन्य जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में उनका डिप्लोमा संस्था द्वारा मान्य तथा नियमानुसार पाया गया है।

जांच अधिकारी डॉ शशांक बोले बता नही सकता

हालांकि जांच अधिकारी डा. शशांक का कहना है कि मैंने जब दूसरी बार दस्तावेज चेक किए तो पाया कि वह दस्तावेज वैधानिक हैं। पहली बार दस्तावेज भ्रामक क्यों पाए गए और दूसरी बार सही क्यों पाए गए, यह में आपको नहीं बता सकता।

डॉ डी परमहंस बोले टिप्पणी नही दे सकता

वहीं डीन डॉ. डी. परमहंस का कहना है कि पूरा मामला न्यायालय में विचाराधीन है में इस मामले में और इस जांच रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दे सकता हूं।

बिना न्यायालय के आदेश के जांच कैसे

वहीं अंकर के वकील जितेंद्र शर्मा का कहना है कि जब पूरे दस्तावेज पूर्व में न्यायालय में पेश किए जा चुके हैं, इसके बाद भी बिना न्यायालय के आदेश के जांच क्यों की जा रही है। इस संबंध में जवाब-तलब के लिए नोटिस जारी करने के लिए न्यायालय में आवेदन लगाया गया है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने स्वीकारा अंकसूची फर्जी

इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज शिवपुरी ने श्रम मंत्रालय से जानकारी चाही गई तो श्रम मंत्रालय द्वारा भी 07 नवंबर 2022 को जारी पत्र में तत्कालीन डीन डा. केवी वर्मा को स्पष्ट किया गया कि आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एंड फिजिकल हेल्थ साइंसेस, अलीपुर दिल्ली नामक संस्था रोजगार महानिदेशालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा संचालित नेशनल कैरियर सर्विस पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है।

इसके अलावा पत्र में यह भी स्पष्ट है कि इस संस्था को इस तरह का कोर्स कराने के लिए किसी भी तरह की मान्यता प्रदान नहीं की गई। इस संबंध में संबंधित संस्था पर दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर भी की गई है।