शिवपुरी। पोहरी नगर परिषद में कर्मचारियों की भर्ती में घोटाला मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है,नगर परिषद पोहरी कार्यालय संचालनालय को जानकारी देने से बच रहा है। इस मामले में सीएमओ का कहना है कि दस्तावेजों का परीक्षण जारी है उसके बाद कार्रवाई की जाऐगी। यह भर्ती घोटाला उस समय का है जब नगर परिषद अपने अस्तित्व में आई थी।
पोहरी नगर परिषद का गठन 31 जुलाई 2018 को हुआ था। नगर परिषद क्षेत्र में तत्कालीन ग्राम पंचायत पोहरी, कृष्णगंज, जाखनौद, ग्वालीपुरा, बेहटा, चकराना एवं नानौरा को सम्मिलित किया गया है। परिषद के गठन के उपरांत जब कर्मचारियों की आवश्यकता हुई तो ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों का संविलियन किया गया।
इस संविलियन के दौरान जिम्मेदार अधिकारियों ने सांठगांठ कर ऐसे कर्मचारियों का भी संविलियन कर दिया गया जो इसके पात्र ही नहीं थे। मामला जब संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास के संज्ञान में आया तो संचालनालय ने 18 जुलाई 2022 को आदेश क्रमांक शि. 6/2022/12885 के माध्यम से एक पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर पोहरी के सीएमओ से जानकारी मांगी गई। कर्मचारियों और संपत्तियों के संविलियन में घालमेल होने के चलते अभी तक रिपोर्ट संचालनालय को पेश नहीं की गई है।
संविलियन के संबंध में मांगे हैं दस्तावेज
ग्राम पंचायत पोहरी के संविलियित पंप चालक विशाल पुत्र तेज सिंह धाकड़, अनवर पुत्र इस्माईल खान, चांद शाह पुत्र रहमत शाह, भृत्य बृजमोहन पुत्र भमरा बाथम, वसूली कर्मी अय्यूब पुत्र इस्माईल खान, ग्राम पंचायत कृष्णगंज के वसूली कर्मी योगेश पुत्र अनंतराम गुप्ता, भृत्य राजेंद्र पुत्र शंकरलाल वर्मा, पंप चालक उदय सिंह पुत्र वैदीचरण धाकड़, ग्राम पंचायत बेहटा के पंप चालक शोभाराम पुत्र मोतीलाल वर्मा, कल्याण पुत्र सुरेश वर्मा, अमित पुत्र अमर सिंह वर्मा, शिशुपाल पुत्र सुरेश वर्मा, ग्राम पंचायत ग्वालिपुरा के भृत्य राजकुमार पुत्र रमेश खंगार, ग्राम पंचायत नानौरा के भृत्य जालिम पुत्र तारा सेन, चौकीदार मस्तराम पुत्र मंगलिया धाकड़, भृत्य शिवनंदन पुत्र हरिचरण धाकड़, पंप चालक उत्तम पुत्र लच्छीराम धाकड़ के नाम शामिल है।
इसलिए नहीं दी जा रही रिपोर्ट
नगर परिषद पोहरी से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सीएमओ इसलिए जांच के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पा रहे है क्योंकि जितने पंप चालकों का संविलियन पंचायत कर्मी से नगर परिषद के कर्मचारी के रूप में किया, उतने पंप हाउस ही पंचायतों से नगर परिषद को हस्तांतरित नहीं हुए है। ऐसे में इतने पंप चालक आखिर कहां से आ गए। पंचायतों के रिकॉर्ड से जब इन पंप चालकों की वेतन पर्चियों आदि की पड़ताल की गई तो वह भी उपलब्ध नहीं हो सकी।
नप कर्मचारी योगेश गुप्ता की भर्ती ही कृष्णगंज पंचायत में 25 नवंबर 2020 को कंप्यूटर ऑपरेटर एवं वसूली कर्ता के रूप में होना बताया है, जबकि नगर परिषद का गठन ही 2018 में हो चुका था। इसके अलावा एक सफाईकर्मी प्रहलाद वाल्मीकि की ग्राम पंचायत चकराना में नियुक्ति ही 26 अक्टूबर 2018 को बताई गई है, जो नगर परिषद के गठन उपरांत किया गया ठहराव है। ऐसे में उक्त कर्मचारियों का नगर परिषद में संविलियन स्वतः संदेह के दायरे में आ गया है।
जब नगर परिषद का गठन हुआ था
तो सात पंचायतों की संपत्ति और कर्मचारियों को हस्तांतरण हुआ था। हमें कुछ दस्तावेज प्राप्त हो गए हैं, लेकिन अभी काफी दस्तावेज पंचायत से प्राप्त नहीं हुए हैं। हमने सीइओ को इस संबंध में पत्र लिखा था। कुछ दस्तावेज हमें और आए है उनका परीक्षण किया जा रहा है परीक्षण में जो भी खामियां सामने आएंगी उनके अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
राघवेंद्र पालिया सीएमओ, पोहरी।
मैंने इस संबंध में सीएमओ को निर्देश दिए है कि समस्त दस्तावेज संबंधित अधिकारियों को जांच के लिए उपलब्ध करवाए जाएं, परंतु इसमें लापरवाही बरती जा रही है। कहां कमी है, मैं इसे दिखवाती हूं।
रश्मि वर्मा, अध्यक्ष नगर परिषद पोहरी।
पोहरी नगर परिषद में संविलियन से लेकर विकास कार्यों में तमाम भ्रष्टाचार हुए हैं। मैं सभी मामलों की जांच करवा रहा हूं। इसमें जो भी गलत होगा वह किसी भी स्थिति में नहीं बचेगा। मैं पूरे मामले को विधानसभा में उठाऊंगा।
कैलाश कुशवाह विधायक, पोहरी।
पोहरी नगर परिषद का गठन 31 जुलाई 2018 को हुआ था। नगर परिषद क्षेत्र में तत्कालीन ग्राम पंचायत पोहरी, कृष्णगंज, जाखनौद, ग्वालीपुरा, बेहटा, चकराना एवं नानौरा को सम्मिलित किया गया है। परिषद के गठन के उपरांत जब कर्मचारियों की आवश्यकता हुई तो ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों का संविलियन किया गया।
इस संविलियन के दौरान जिम्मेदार अधिकारियों ने सांठगांठ कर ऐसे कर्मचारियों का भी संविलियन कर दिया गया जो इसके पात्र ही नहीं थे। मामला जब संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास के संज्ञान में आया तो संचालनालय ने 18 जुलाई 2022 को आदेश क्रमांक शि. 6/2022/12885 के माध्यम से एक पत्र लिखकर कई बिंदुओं पर पोहरी के सीएमओ से जानकारी मांगी गई। कर्मचारियों और संपत्तियों के संविलियन में घालमेल होने के चलते अभी तक रिपोर्ट संचालनालय को पेश नहीं की गई है।
संविलियन के संबंध में मांगे हैं दस्तावेज
ग्राम पंचायत पोहरी के संविलियित पंप चालक विशाल पुत्र तेज सिंह धाकड़, अनवर पुत्र इस्माईल खान, चांद शाह पुत्र रहमत शाह, भृत्य बृजमोहन पुत्र भमरा बाथम, वसूली कर्मी अय्यूब पुत्र इस्माईल खान, ग्राम पंचायत कृष्णगंज के वसूली कर्मी योगेश पुत्र अनंतराम गुप्ता, भृत्य राजेंद्र पुत्र शंकरलाल वर्मा, पंप चालक उदय सिंह पुत्र वैदीचरण धाकड़, ग्राम पंचायत बेहटा के पंप चालक शोभाराम पुत्र मोतीलाल वर्मा, कल्याण पुत्र सुरेश वर्मा, अमित पुत्र अमर सिंह वर्मा, शिशुपाल पुत्र सुरेश वर्मा, ग्राम पंचायत ग्वालिपुरा के भृत्य राजकुमार पुत्र रमेश खंगार, ग्राम पंचायत नानौरा के भृत्य जालिम पुत्र तारा सेन, चौकीदार मस्तराम पुत्र मंगलिया धाकड़, भृत्य शिवनंदन पुत्र हरिचरण धाकड़, पंप चालक उत्तम पुत्र लच्छीराम धाकड़ के नाम शामिल है।
इसलिए नहीं दी जा रही रिपोर्ट
नगर परिषद पोहरी से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सीएमओ इसलिए जांच के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पा रहे है क्योंकि जितने पंप चालकों का संविलियन पंचायत कर्मी से नगर परिषद के कर्मचारी के रूप में किया, उतने पंप हाउस ही पंचायतों से नगर परिषद को हस्तांतरित नहीं हुए है। ऐसे में इतने पंप चालक आखिर कहां से आ गए। पंचायतों के रिकॉर्ड से जब इन पंप चालकों की वेतन पर्चियों आदि की पड़ताल की गई तो वह भी उपलब्ध नहीं हो सकी।
नप कर्मचारी योगेश गुप्ता की भर्ती ही कृष्णगंज पंचायत में 25 नवंबर 2020 को कंप्यूटर ऑपरेटर एवं वसूली कर्ता के रूप में होना बताया है, जबकि नगर परिषद का गठन ही 2018 में हो चुका था। इसके अलावा एक सफाईकर्मी प्रहलाद वाल्मीकि की ग्राम पंचायत चकराना में नियुक्ति ही 26 अक्टूबर 2018 को बताई गई है, जो नगर परिषद के गठन उपरांत किया गया ठहराव है। ऐसे में उक्त कर्मचारियों का नगर परिषद में संविलियन स्वतः संदेह के दायरे में आ गया है।
जब नगर परिषद का गठन हुआ था
तो सात पंचायतों की संपत्ति और कर्मचारियों को हस्तांतरण हुआ था। हमें कुछ दस्तावेज प्राप्त हो गए हैं, लेकिन अभी काफी दस्तावेज पंचायत से प्राप्त नहीं हुए हैं। हमने सीइओ को इस संबंध में पत्र लिखा था। कुछ दस्तावेज हमें और आए है उनका परीक्षण किया जा रहा है परीक्षण में जो भी खामियां सामने आएंगी उनके अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
राघवेंद्र पालिया सीएमओ, पोहरी।
मैंने इस संबंध में सीएमओ को निर्देश दिए है कि समस्त दस्तावेज संबंधित अधिकारियों को जांच के लिए उपलब्ध करवाए जाएं, परंतु इसमें लापरवाही बरती जा रही है। कहां कमी है, मैं इसे दिखवाती हूं।
रश्मि वर्मा, अध्यक्ष नगर परिषद पोहरी।
पोहरी नगर परिषद में संविलियन से लेकर विकास कार्यों में तमाम भ्रष्टाचार हुए हैं। मैं सभी मामलों की जांच करवा रहा हूं। इसमें जो भी गलत होगा वह किसी भी स्थिति में नहीं बचेगा। मैं पूरे मामले को विधानसभा में उठाऊंगा।
कैलाश कुशवाह विधायक, पोहरी।