शिवपुरी। सीबीएसई दसवीं की परीक्षा में भाषा को छोड़कर किसी एक विषय में फेल होने वाले विद्यार्थी पास कहलाकर अगली कक्षा में प्रमोट हो जाएंगे। इसका लाभ उठाने के लिए विद्यार्थी को ऐच्छिक स्किल विषय में पास होना जरूरी है। हालांकि शहर के कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां अब तक कोर्स में स्किल विषय शामिल नहीं किया गया। इसका खामियाजा ओवरऑल रिजल्ट के तौर पर उठाना पड़ेगा।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की परीक्षा के लिए शहर के करीब 03 स्कूलों को केंद्र बनाया गया। बताया जा रहा है यहां दसवीं के करीब दो हजार विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होंगे। सीबीएसई बोर्ड ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा है कि दसवीं बोर्ड में हिंदी व अंग्रेजी को छोड़कर बाकी विषयों में अगर कोई छात्र फेल होता है तो उसे स्किल विषय से बदलाव करते हुए रिजल्ट बनाया जाएगा।
यानी गणित और विज्ञान या सामाजिक विज्ञान में फेल होने वाले ऐसे विद्यार्थी, जिन्होंने छठे विषय के तौर पर कोई स्किल विषय चुना है, वे पूरक के बजाय सीधे पास कहलाएंगे। ऐसा ही फायदा बारहवीं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी मिलेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका लाभ उन स्कूलों के विद्यार्थियों को नहीं मिलेगा जिन्होंने यह विकल्प नहीं चुना है।
एमपी बोर्ड में भी लागू बेस्ट ऑफ फाइव स्कीम
दसवीं के विद्यार्थियों के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने भी अंतिम बार बेस्ट ऑफ फाइव स्कीम लागू रखी है। इसके तहत अगर विद्यार्थी 6 में से किसी भी एक विषय में फेल होते हैं तो उनका परिणाम बाकी पांच विषयों के अंकों के आधार पर ही तैयार होगा। इस सत्र की शुरुआत में माशिमं ने यह स्कीम बंद करने की घोषणा की थी लेकिन अर्द्धवार्षिक परिणामों की समीक्षा करने के बाद आनन-फानन ने इसे फिर से लागू करने की घोषणा की गई।
स्कूल मैनेजमेंट काही रहता है फैसला
शिक्षाविदों के अनुसार रिजल्ट सुधारने के साथ विद्यार्थी की स्किल डेवलपर करने के लिए सीबीएसई ने स्किल ओरिएंटेड कोर्सेज लॉन्च किए। इसका असर रिजल्ट पर लगातार नजर आ रहा है। इसके बावजूद कुछ स्कूलों ने अब तक स्किल कोर्सेस की पढ़ाई के लिए पहल नहीं की।
ऐसे स्कूल के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट होने के लिए सभी विषय पास करना होंगे। सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन से जुड़े किड्स गार्डन स्कूल के संचालक शिवकुमार गौतम ने बताया कि ज्यादातर स्कूलों में स्किल सब्जेक्ट की पढ़ाई हो रही है। स्कूलों में कौन से सब्जेक्ट पढ़ाना हैं यह फैसला स्कूल मैनेजमेंट का ही रहता है।