SHIVPURI NEWS - बगीचा वाले हनुमान की कथा,आरक्षक का रूप धारण कर स्वयं पहुंचे थे थाने

Bhopal Samachar

करैरा। भक्ति के सागर,शक्ति के सागर संकट मोचन हनुमान जी महाराज इस कलयुग में अपने भक्तो पर कैसे कृपा करते है इसका उदाहरण करैरा के बगीचा वाले हनुमान मंदिर से मिलता है। यह बगीचा वाले सरकार अपने भक्त के लिए आरक्षक का रूप धारण थाने पहुंच गए थे। बगीचा वाले हनुमान जी का यह प्रेरक प्रसंग बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने करैरा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के मंच से सुनाई।

सबसे पहले जाने मंदिर के विषय में

करैरा के प्रसिद्ध बगीचा वाले हनुमान जी का वास्तविक नाम श्री चिंताहरण हनुमान मंदिर है,इस मंदिर को गुप्ता जी की बगिया के नाम से भी जाना जाता है। श्री श्री चिंताहरण सरकार के प्रति एक पुलिसकर्मी की भक्ति और विश्वास के कारण ही इस मंदिर को गुप्ता जी की बगिया फिर बगीचा वाले सरकार के नाम से संबोधित किया जाने लगा। इस मंदिर के विषय में बागेश्वर के धाम पीठाधीश्वर ने कई बार इस देश की तमाम कथाओं में इस मंदिर का उल्लेख किया है।  
 

करैरा में आयोजित श्रीमद भागवत के मंच से पुन:स्मरण

जैसा कि विदित है कि करैरा में इस समय धर्म गंगा का प्रवाह है कारण इस देश के सबसे चर्चित कथा वाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बागेश्वर धाम वाले करैरा में कथा का कार्यक्रम चल रहा है। पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने पुन:इस स्मरण को सुनाया इस स्मरण को सुनकर कथा में आयोजित कथा श्रावको का मन और चित्त भक्ति भाव से भर गया।

यह है कथा करैरा वाले बगीचा सरकार की, एक भक्त और भगवान का अनोखा रिश्ता

चंपालाल गुप्ता करैरा थाने में पदस्थ एक आरक्षक थे लेकिन उनकी पहचान उनकी वर्दी से ज्यादा उनको भक्ति और सेवा भाव से थी। वह चिंताहरण हनुमान मंदिर में नित्य सेवा करते थे। उनको निष्ठा और समर्पण का आलम यह था कि मंदिर में पूजा के दौरान थाने में देरी हो जाती लेकिन उनकी ड्यूटी भगवान हनुमान स्वयं निभा जाते थे।

एक दिन पुलिस अधीक्षक के थाने में दौरे के दौरान सभी सिपाहियों की गिनती होनी थी। उस समय चंपालाल गुप्ता मंदिर में पूजा-अर्चना में व्यस्त थे। उन्हें यह ज्ञात था कि अनुपस्थिति के कारण उन्हें सस्पेंड किया जा सकता है। उन्होंने भगवान हनुमान जी से प्रार्थना की और अपने कर्तव्य को उनके भरोसे छोड़ दिया।

जब गिनती हुई तो चंपालाल गुप्ता की अनुपस्थिति किसी ने नहीं पाई। सभी पुलिसकर्मी अपनी जगह पर उपस्थित थे। बाद में जब चंपालाल थाने पहुंचे तो उन्होंने सोचा कि उनकी नौकरी समाप्त हो गई होगी। लेकिन थाने के कर्मचारियों ने बताया कि वह गिनती में उपस्थित थे। यह सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्हें समझ आ गया कि भगवान हनुमान ने उनकी जगह ड्यूटी निभाई है।

मंदिर में ही बनी है भक्ता चंपालाल की समाधि

इस चमत्कार के बाद चंपालाल गुप्ता ने नौकरी छोड़कर अपनी जिंदगी भगवान हनुमान की सेवा में समर्पित कर दी। उनकी भक्ति और सेवा ने इस मंदिर को नई पहचान दी।  चंपालाल   गुप्ता की समाधि आज भी मंदिर के ठीक पीछे स्थित है जो भक्तों के लिए एक प्रेरणा स्थल है। इसी सेवा के कारण यह मंदिर 'गुप्ता जी की बगिया' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

न्याय के देवता भी है यहां हनुमान जी महाराज

मान्यता है कि बातचीत के माध्यम से न्याय हैं कि बातचीत के माध्यम से न्याय भी मिल जाता हैं। स्थानीय लोगों का मानना हैं कि बाबा का बगीचा मंदिर में कोई भी व्यक्ति झूठ नही बोलता और न ही झूठी कसम खाता हैं। करैरा में बाबा का बगीचा मंदिर पूजा पाठ के साथ न्याय का केंद्र हैं। जहां लोगों के आपसी विवाद बातचीत में ही सुलझ जाते हैं स्थानीय लोग अपने हर छोटे-बड़े विवादो को लेकर आते हैं और आपस में बातचीत करके अपने लडाई झगडों को निपटाते हैं। करैरा निवासी वेद प्रकाश दुबे एवं बृजेश श्रीवास्तव एडवोकेट का कहना है कि मंदिर में आपसी विवादो का न्याय भी होता हैं।

पुलिस व कोर्ट जाने से पहले लोग अपना आपसी विवाद उपस्थित लोगों की सहमति से भी सुलझा लेते हैं। किसी भी लालच या कारण वश झूठ बोलने वाले व्यक्ति को इसका प्रतिफल भोगना ही पड़ता हैं। यह मंदिर शिवपुरी जिला मुख्यालय से 56 किमी दूर करैरा के वार्ड 4 में स्थित हैं,जो करीब छह सौ साल से ज्यादा पुराना हैं।

600 साल पुराना है बाबा का बाग मंदिर

यहां बता दे कि यह प्रख्यात मंदिर करीब 600 साल पुराना हैं। हालांकि शुरुआत में एक छोटी सी मढिया थी ,जिसके बाद मे बाबा भागगिरी ने 200 साल पूर्व बडा व भव्य मंदिर का निर्माण कराया। यहां पर दर्शन करने के लिए करैरा ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं। खास बात यह है कि करैरा और आसपास के लोगों में कोई झगड़ा या विवाद हो जाता हैं तो बगीचा वाले की कसम खाते हैं,यहां पर लोग झूठी कसम नहीं खाते।