SHIVPURI NEWS - खनियाधाना के शासकीय स्कूल के बच्चों ने किया ओरछा व झांसी की रानी के किले का भ्रमण

Bhopal Samachar

खनियाधाना। शा. सी. एम. राइज मॉडल स्कूल खनियाधाना के छात्रों ने प्राचार्य श्री टेकचंद जैन की अनुमति से ओरछा एवं झाँसी जैसे ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर विभिन्न जानकारियां प्राप्त की और आंनद प्राप्त किया। सी एम राइज स्कूल का दल भ्रमण के लिए सुबह सात बजे अपने विद्यालय से रवाना हुआ, सर्वप्रथम ओरछा पहुंच कर रामराजा सरकार के दर्शन किए उसके उपरांत लक्ष्मीनारायण मंदिर, पालकी महल, कचहरी महल, राजा हरदोल की बैठक, चंदन कटोरा, सावन -भादो स्तम्भ आदि देखे।

उसके बाद सभी औरछा किले पर पहुंचे और बहाँ पर राजा महल, दीवाने आम, दीवाने ख़ास, और राजा महल में महारानी गणेश कुंवर का कक्ष जहाँ से रानी ने रामराजा सरकार के दर्शन के लिए बनवाया था देखा, और चौदहवी शताव्दी की स्थापत्य कला को समझा। जहांगीर महल की डिजाइन देखकर छात्र मन्त्रमुग्ध हो गए। महल के बाहर बना ऊंट खाना, शाही स्नानागार हमाम, रायप्रवीण महल, आदि देखा लक्ष्मी मंदिर और ओरछा के राजाओं की छत्रियाँ भी देखीं।

ओरछा से लौटकर झाँसी के किले का भ्रमण किया जिसमें कड़क बिजली और भवानी शंकर तोप को छात्रों ने स्पर्श कर देखा। और प्राचीन भारतीय टेक्नोलॉजी को जाना, गणेश मंदिर और प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन किए। बरादरी, फांसी घर, गार्डन आदि के साथ बह स्थान भी देखा जहाँ से रानी लक्मी बाई अपने घोड़े के साथ किले से छलांग लगाई थी। दल की अगुआई कर रहे मोहन सोनी सर ने सभी ऐतिहासिक स्थलों के विषय में तथ्यात्मक जानकारी दी।

श्री मोहन सोनी ने बताया कि ओरछा नगर की स्थापना राजा रुद्रप्रताप ने की जो की चारों और से सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत सुरक्षित है को अपनी राजधानी बनाया। राजा मधुकर शाह ने रानी गणेश कुंवर के कहने पर लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण कराया। राजा वीर सिंह जू देव ने जहांगीर महल का निर्माण कराया जो जहांगीर से मित्रता का परिचायक है, उन्होंने बताया कि ऐसा ही विशाल महल आगरा के किले में बुन्देला महल है जो वीर सिंह जू देव के लिए बनवाया गया था।
 
रायप्रवीण महल महाराजा इंद्रजीत सिँह ने अपनी प्रेयसी रायप्रवीण के लिए बनवाया। लक्ष्मी मंदिर ओरछा में अकाल की स्थिति से निवटने के लिए कराया गया था। छतिरियो में राजा सावंत सिंह जू देव की पृथ्वी सिँह आदि की देखी, परसियन शैली की छतरी भी देखी, राजा वीर सिंह जू देव की सबसे बड़ी छतरी का मुआयना किया।

झांसी का इतिहास बताते हुए कहा कि राजा गंगाधर राव तीन भाई थे, सबसे बड़े रामचंद्र राव और उनकी पत्नी सखूबाई, दूसरे रघुनाथ राव और उनकी पत्नी जानकी बाई और तीसरे गंगाधर राव और उनकी पत्नी रानी लक्ष्मी बाई थी। झाँसी का किला ओरछा के राजा बीरसिंह जू देव ने बंगरा नामक पहाड़ी पर कराया, महाराज छात्रसाल बुन्देला के समय झाँसी मराठों के लिए इनाम स्वरुप दी गईं।

तब से झाँसी मराठों के हाथ में रही। 1857 की क्रांति का केंद्र झांसी और रानी महल ही रहा जिसका निर्माण रघुनाथ राव ने कराया था। रानी को जब महल से निष्कासित किया तब रानी लक्ष्मी बाई इसी महल में रही. वर्तमान में इस महल में संग्रहालय है। इसके बाद सभी छात्रों का दल बापिस हुआ। छात्रों के साथ विद्यालय के शिक्षक श्री संजीव जैन, श्री भरत सांखला, श्री देवेंद्र झाँ, पूजा शर्मा, श्री प्रान सिंह लोधी, आदि का विशिष्ट सहयोग रहा।