SHIVPURI NEWS - स्मैक के कारण बढ रहे है एड्स के रोगी : CMHO

Bhopal Samachar

शिवपुरी। सामाजिक संस्कारों और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से ही एड्स जैसे रोगों से बचा जा सकता है। भावी पीढ़ी का एड्स से बचाव के लिए स्वास्थ्य शिक्षा अनिवार्य होना चाहिए। यह कहना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा संजय ऋषीश्वर का है वह विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आयोजित शुभारंभ कार्यक्रम कार्यक्रम मे उपस्थित स्वास्थ्य कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे।

जिला चिकित्सालय शिवपुरी के सभागार में विश्व एड्स दिवस सप्ताह का आयोजन किया गया था। उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए सीएमएचओ डा संजय ऋषीश्वर ने कहा कि एड्स से ग्रसित जितने भी रोगी हैं, उनके उपचार एवं स्वास्थ्य की जवाबदारी स्वास्थ्य महकमे की है, लेकिन स्वास्थ्य अमले के ही एड्स रोग से संक्रमित होने की सबसे अधिक संभावना होती है।

इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों को अपने बचाव भी देना होगा। विभाग द्वारा पूर्व से निर्धारित मानक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुरक्षित प्रसव कराना,उपकरणों को भी जीवाणु रहित करना, इंजेक्शन की सुई सहित चिकित्सीय कचरे का निष्पादन आदि पूर्व निर्धारित मापदंडों के अनुरूप करना चाहिए।

डा ऋषि स्वर के अनुसार शिवपुरी जिले में एड्स रोगियों की संख्या में विस्तार स्मैक के नशे के कारण हो रहा है। सरकार ने एड्स रोगियों को केवल बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं ही उपलब्ध नहीं कराई बल्कि उनके आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा के लिए नौकरियों में पद सुरक्षित किए हैं। पिछले दिनों शिवपुरी जिले में एड्स रोगी के लिए आरक्षित पद पर नियुक्त करने के लिए स्वास्थ्य 60 लोगों के आवेदन निरस्त कर दिए गए थे दो आवेदकों का साक्षात्कार लेकर उनमें से एक की नियुक्ति की गई।

कार्यक्रम में जिला क्षय अधिकारी एवं नोडल अधिकारी डॉ अल्का त्रिवेदी ने कहा कि एक से अधिक सेक्स पार्टनर रखने वाले महिला-पुरुष एड्स जैसे गंभीर रोग की चपेट में आते हैं। इतना ही नही, सुरक्षित सुई, ब्लेड, उस्तरा, रक्त भी उतने ही खतरनाक हैं, जितना असुरक्षित यौन संपर्क है।

उनके अनुसार शिवपुरी में 1200 एड्स रोगियों का उपचार चल रहा है, जिले में स्थिति महानगरों की अपेक्षा खासी नियंत्रण में है। जिले में सुई से नशा करने वालों लोगों के व कारण एड्स जैसा रोग फैल रहा है। डा त्रिवेदी ने बताया कि जिले में एड्स रोगियों की पहचान गुप्त रखने के साथ ही उनकी जांच के लिए एआर सेंटर प्रारंभ किए गए हैं इसके अलावा रेड रिबन ग्रुप भी बनाए गए है जो जन जागरूकता का कार्य कर रहे हैं।