SHIVPURI NEWS - शिवपुरी स्वास्थ्य विभाग, 2 लाख की आबादी पर एक डॉक्टर, वही 7 सात दिन में 2 दिन

Bhopal Samachar

शिवपुरी। मध्य प्रदेश सरकार विकासशील मध्यप्रदेश का ढोल बजा रही है,लेकिन स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मामले में सरकार की योजनाएं और व्यवस्थाए वेंटिलेटर पर है,खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। पिछोर के मनपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लगभग 50 गांव के लोगों के स्वास्थ्य का भार है,इन 50 गांवों की लगभग 2 लाख की आबादी पर सरकार और शिवपुरी के स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी के चलते एक डॉक्टर तैनात है। वही भी सप्ताह के सात में 2 दिन ही मिल पाता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर नहीं होने से कई लोगो काल का ग्रास बन जाते है।

स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही क कारण मजबूरी में बीमार लोगो को झोला छाप डॉक्टरों के यहां इलाज कराना पडता है। इस कारण वह पैसे से भी लूट जाते है साथ में बिना पढे लिखे डॉक्टर से इलाज कराने पर जान भी चली जाती है। इसमें सबसे बड़ी हैरानी वाली बात यह कि सरकार जन समस्या को लेकर कई प्रकार के अभियान चलाती है लेकिन स्वास्थ्य के प्रति घर घर जाकर समस्या पूछने का अभियान नही चलाती है। शिवपुरी जिले में मनपुरा जैसे कई प्राथमिक केंद्र है जहां पर्याप्त स्टाफ नहीं है।

मनपुरा स्वास्थ्य केंद्र पर 3 डॉक्टर की जगह
स्वास्थ्य केंद्र मनपुरा पर तीन डॉक्टर की जगह है किंतु केवल एक डॉक्टर पदस्थ है। उनको भी बीएमओ सप्ताह में दो दिन के लिए पिछोर बुलाते हैं। इससे मरीजों को परेशान होना पड़ता है। जब गंभीर या दुर्घटनाग्रस्त मरीज इलाज के लिए अस्पताल में जाते है तो वहां पर डॉक्टर न मिलने पर मरीजों को वापिस लौटकर निजी अस्पताल में इलाज के लिए जाना पड़ता है।

एक्सीडेंट में घायल को नहीं मिला उपचार
मंगलवार की रात करीब 48 वर्षीय सुनील परिहार मोटरसाइकिल से बदरवास से वापस अपने गावं आ रहा था। जैसे ही वह पगरा के पास पहुंचा तो दुर्घटना में घायल हो गया। उसके बाद उसका भाई रामस्वरूप परिहार स्वास्थ्य केंद्र मनपुरा अस्पताल ले गए वहां पर एक नर्स मिली और उसने इलाज करने से मना कर दिया। रामस्वरूप ने बताया हमने लौटकर वापिस में प्राथमिक चिकित्सा कराई और सुबह मेडिकल कॉलेज में भर्ती कर इलाज कराया। इस बारे में उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर अंकित बानोरिया से पूछा तो उसने बताया कि मेरी पिछोर ड्यूटी लगाई गई है। और में अस्पताल में ही स्का था शाम को मरीन भी देखा था सप्ताह में दो दिन के लिए पिछोर ड्यूटी लगाई गई है।

अस्पताल में नही रूकता है स्टाफ
बता दे कि भले ही स्वास्थ्य विभाग ने कड़ाके की सर्दी के चलते सभी स्टाफ को अस्पताल में रुकने के निर्देश दिए हो किंतु डॉक्टरों की लापरवाही से सैकड़ों मरीजों की जान से खिलवाड़ हो जाता है। मनपुरा स्वास्थ्य केंद्र पर लगभग 50 गांव के हजारों मरीज आते हैं।

25 किलोमीटर तक नहीं है कोई अस्पताल
पिछोर से 25 किलोमीटर तक कोई अस्पताल नहीं है ऐसे में सड़क दुर्घटना की स्थिति होने पर एकमात्र अस्पताल में चिकित्सीय स्टाफ न होना भी विभागीय लापरवाही मानी जाएगी। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री और क्षेत्रीय विधायक से मनपुरा अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ पदस्थ करने की मांग की है।


50 गांव की आबादी के इलाज के लिए एकमात्र अस्पताल
मन्पुरा से जुड़े हुए लगभग 50 गांव के लोगों का यह एकमात्र अस्पताल है। आसपास के गांव दुलही मन्पुराए भौती, बामौर, तिंधारी, उमरी, नया खेड़ा महोबा पूरी तरह से इलाज के लिए निर्भर बनी रहती है। अस्पताल में होने को 6 बिस्तर का प्रसूति पलंग व्यवस्था है पर 8 नर्स के बजाय 1 नर्स पदस्थ है। 1 नर्स जो टीकाकरण के लिए नियुक्त है वह भी अस्पताल में कार्य करती है। इसी तरह ड्रेसर की पदस्थी नहीं है इससे पदस्थ स्टाफ द्वारा ही ड्रेसिंग की जाती है।

वर्षों से नेत्र चिकित्सक की पोस्ट खाली पड़ी है
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर वर्षों पहले नेत्र चिकित्सक थे किंतु उनके ट्रांसफर के बाद अभी तक नेत्र चिकित्सक की नियुक्ति नही की गई इससे लोगों को आंख के इलाज के लिए शिवपुरी या झांसी जाना पड़ता है।

टेक्नीशियन न होने से धूल में पड़ी एक्स.रे मशीन
सरकार द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कई साल पहले एक्स.रे मशीन प्रदाय की थी किंतु एक्सरे टेक्नीशियन की पदस्थी नहीं की गई लिहाजा मरीजों को इसका भी लाभ नहीं मिल रहा है। यदि टेक्नीशियन उपलब्ध होता तो मरीजों को जिला अस्पताल के लिए रेफर या निजी अस्पताल में इलाज के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता।

डॉक्टर को नोटिस देकर जवाब मांगा है जाएगा
यहां डॉक्टर्स की कमी के चलते दो दिन के लिए डॉक्टर बाजोरिया की पिछोर अंकित ड्यूटी लगाई गई है। शेष दिनों में डॉक्टर को मन्पुरा में ही रुकना चाहिए। यदि रात में नहीं रुकते तो नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा।
डॉ, संजीव वर्मा, बीएमओ पिछोर