शिवपुरी। शिवपुरी जिले के भौती थाने की सरकारी जमीन से साल 2009 में पिछोर के तत्कालीन तहसीलदार ने रास्ता देकर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया। यहीं से पुलिस की मुश्किलें शुरू हो गई। रास्ते के हस्तक्षेप में व्यक्ति ने कोर्ट में टीआई व कलेक्टर के खिलाफ याचिका दायर कर दी। जमीन की इस कानूनी लड़ाई में अब टीआई और कलेक्टर के पक्ष में फैसला हुआ है।
इस आदेश के साथ भौंती पुलिस थाने की बाउंड्रीवाल का रास्ता भी साफ हो गया है। इसमें तत्कालीन टीआई संजय मिश्रा की अहम भूमिका रही। मामले में शासन की ओर से पैरवी एडवोकेट आरएन शर्मा और बृजेश द्विवेदी ने की।
पिछोर तहसीलदार ने कर दिया रिकॉर्ड में रास्ता दर्ज
जानकारी के मुताबिक भौंती कस्बे में पुलिस थाने के लिए शासकीय सर्वे नंबर 582 रकबा 1.220 हेक्टेयर जमीन रिजर्व है। इसी जमीन में पुलिस थाना व आवास बने हैं। भौंती निवासी रमेश सिंह (67) पुत्र गोवर्धन सिंह भदौरिया की 583 रक्बा 0.120 हेक्टेयर निजी जमीन है। अपनी जमीन पर जाने के लिए रमेश सिंह भदौरिया ने पिछोर तहसील में आवेदन दिया।
तहसीलदार ने आवेदन के आधार पर 14 सितंबर 2009 को आदेश जारी कर थाने की रिजर्व जमीन से 10 फीट चौड़ा रास्ता रिकार्ड में दर्ज कर दिया। टीआई संजय मिश्रा साल 2004 से 2006 तक भौती थाने में एसआई बतौर थाना प्रभारी रहे। फिर अक्टूबर 2021 में टीआई मिश्रा फिर से भाँती थाना प्रभारी के रूप में पुनः पदस्थी हुई। पुलिस थाने की बाउंड्रीवाल बनवाने के दौरान रास्ते का विवाद सामने आया।
टीआई मिश्रा ने सरकारी जमीन बचाने के लिए खुद ही कानूनी लड़ाई शुरू की। मामले में न्यायालय अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश अमनदीप सिंह छाबड़ा वरिष्ठ खंड पिछोर ने 11 दिसंबर 2024 को जारी आदेश में टीआई संजय मिश्रा व कलेक्टर शिवपुरी के पक्ष में फैसला दिया है।
फैसला आते ही बाउंड्रीवाल का काम चालू हुआ
कोर्ट से फैसले की कॉपी हाथ में आते ही भौती थाना पुलिस ने रास्ते की जमीन अपने अधिपत्य में ले ली है। रास्ता बंद कर बाउंड्रीवाल का निर्माण चालू कर दिया है। बाउंड्रीवाल बंद होने के साथ ही पुलिस थाना परिसर पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा। अभी तक थाना परिसर खुला हुआ था। इस कारण आवारा जानवर और असामाजिक तत्व घूमते रहते थे।
कमिश्नर रिपोर्ट में स्वयं वादी का थाने की जमीन पर अवैध निर्माण
पिछोर कोर्ट ने आदेश में आगे लिखा है कि वादी रमेश सिंह, प्रतिवादीगण टीआई संजय मिश्रा व कलेक्टर शिवपुरी के विरुद्ध किसी निषेधाज्ञा का अधिकारी नहीं है क्योंकि वह भूमि सर्वे नंबर 582 पर किसी मार्ग अधिकार का दर्शित करने में असफल रहा है। कमिश्नर रिपोर्ट से स्वयं वादी का थाने की भूमि पर अवैध निर्माण दर्शित है। कोर्ट ने माना है कि थाने की जमीन से यस्ता प्रमाणित नहीं है। फलस्वरूप वादी रमेश सिंह अपना वाद प्रमाणित करने में असफल रहा है। इसलिए वर्तमान वाद निरस्त कर आदेश दिया है कि वादी, वाद पत्र की सहायता चरण अनुरूप कोई सहायता प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
मौके पर 6400 वर्ग फीट जमीन कम
सर्वे नंबर 582 रकबा 1.22 हेक्टेयर है। संयुक्त राजस्व दल से उक्त सर्वे नंबर की रकबा बरारी कराने पर जमीन मौके पर घटकर 1.16 हेक्टेयर निकली है। भौती थाने की रिजर्व जमीन का 0.06 हेक्टेयर (6400 वर्ग फीट) रकवा कम है। बगल से लगे निजी सर्वे नंबर 583 व 584 के नक्शे में क्रमशः 0.03 हेक्टेयर व 0.03 हेक्टेयर जमीन ज्यादा आ रही है। तत्कालीन अपर कलेक्टर शिवपुरी अप्रैल 2023 ने नोटशीट चलाई, लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है और थाने की 6400 वर्गफीट जमीन अभी भी वापस नहीं मिल पाई है। इस जमीन की कीमत 3 करोड़ रु. से अधिक आंकी जा रही है।
अपर आयुक्त कोर्ट ने तहसीलदार का आदेश निरस्त किया
पिछोर कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि निजी भूमि सर्वे नंबर 583 पर कृषि न होकर निर्माण वादी रमेश सिंह की स्वीकृति से ही दर्शित है। रास्ते के लिए तहसीलदार पिछोर के 14 सितंबर 2009 के आदेश को अपर आयुक्त न्यायालय ने 21 सितंबर 2023 को अपास्त कर दिया।
अपर आयुक्त कोर्ट के आदेश की पुष्टि हाईकोर्ट ने 5 अक्टूबर 2023 के माध्यम से कर दी है। ऐसी स्थिति में हथियारों (आयुध) से सुसज्जित थाने जैसे संवेदनशील स्थान को बाउंड्री के माध्यम से अपना परिसर सुरक्षित कराने से बाधित करना पूर्णतः अनुचित प्रतीत होता है। यदि आमजन को सुरक्षित करने वाले कार्यालय स्वयं बाउंड्रीवाल के अभाव में अतिक्रमण, आवारा पशु, असामाजिक तत्वों से सुरक्षित नहीं होंगे तो उनसे आमजन की सुरक्षा की अपेक्षा ही औचित्यहीन है।