SHIVPURI NEWS - कोलारस में पढ़िए कैसे गांधारी के रोल में है जिम्मेदार अधिकारी, मामला अवैध कॉलोनी का

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले के कोलारस नगर में इस समय अवैध कॉलोनी खुलेआम काटी जा रही है। इधर मप्र सरकार अवैध कॉलोनियों में सख्त कानून एनएसए तक की कार्यवाही की बात कर रही है,लेकिन कोलारस की धरती पर उल्टा हो रहा है यहां का स्थानीय प्रशासन अवैध कॉलोनी काटने वाले को लगातार उपकृत कर रहा है। शासन के नियमानुसार अवैध कॉलोनी काटने पर स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है। लेकिन कोलारस में भ्रष्टाचार ने जिम्मेदार अधिकारियों को भ्रष्टाचार ने गांधारी बना दिया है,आखो पर लालच की पट्टी चढ़ी हुई है।

कोलारस में बहारी भूमाफिया सक्रिय

कोलारस नगर में जैसे-जैसे बाहरी भूमाफियाओं की एंट्री हुई है , वैसे ही नगर की जमीन भी उड़ान भरने लगी है। लोगों को अपने सपनो का घर के झूठे सपने दिखाकर ठगा जा रहा है पिछले कुछ महीने से नगर में जमीनों की खरीद फरोख्त तेजी से हो रही है भिंड मुरैना शिवपुरी ग्वालियर से भूमाफिया नगर में आकर जमीन खरीद रहे हैं।

इसी के चलते अवैध कालोनियां का कारोबार भी बढ़ गया है।यह माफिया बिना नक्शा और ले आउट पास कराए ही कालोनी काट रहे हैं। विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते हर महीने राजस्व को लाखों रुपये की चपत लग रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार मौन हैं।

कोलारस नगर के एप्रोच रोड स्थित नगर की पोर्स भूमि सर्वे न 867/2 पर लाल मुरम डालकर अवैध  कॉलोनी काटी जा रही हैं। प्रापर्टी के काम से जुड़े एक व्यक्ति के अनुसार इस कृषि भूमि को 7 करोड़ रुपये मे खरीदना बताया गया है। शिवपुरी से लोग यहां आकर कालोनी काट रहे हैं। यहां तक कि कुछ प्लॉटो की बुकिंग तक हो गईं है बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम न उठाकर रजिस्ट्री एवं नामांतरण पर रोक लगाई गई

एक एकड़ में 50 लाख का नुकसान

अवैध कालोनियों से शासन के राजस्व की मोटी चपत लगती है। जानकारों के मुताबिक एक एकड़ जमीन पर आवासीय कॉलोनी का लेआउट पास कराने पर करीब 50 लाख की धनराशि खर्च होती है, लेकिन बिल्डर  पास आउट  न कराकर इस पूरी धनराशि को बचा लेते हैं। इसी के चलते वह सस्ते दामों में प्लाट की बिक्री करते हैं।

जिम्मेदार करते हैं खानापूर्ति

इन अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अधिकारी केवल खानापूर्ति करते हैं। अधिकतर कालोनियों के खिलाफ केवल नोटिस की कार्रवाई होती है और उसके बाद लेन-देन के खेल से फाइल गायब हो जाती हैं। बताया जा रहा है कुछ कंपनियों मे तो राजस्व विभाग के पटवारी ही पार्टनर है सवाल बनता है कि जिम्मेदार ही संलिप्त हो फिर कार्यवाही कैसे हो

भटकते रहते हैं खरीददार

अवैध कालोनियों में प्लाट की बिक्री करके माफिया तो गायब हो जाते हैं लेकिन, खरीददार फंस जाते हैं।  ऐसे में खरीददार जीवन भर सरकारी कार्यालयों में भटकता रहता है। तमाम लोग तो सस्ते दामों में दूसरे लोगों को जमीन बेचकर भाग जाते हैं। अवैध कालोनी में प्लाट, मकान व दुकान खरीदने का सीधा नुकसान खरीदार को होता है।