नरेन्द्र जैन खनियाधाना। शिवपुरी जिले की खनियाधाना तहसील के गूडर राजा पुर गांव में स्थित क्रेशर के कारण किसान परेशान है,क्रेशर नियम विरूद्ध लगाया गया है,जहां स्वीकृत लीज है उस स्थान को छोड़कर अन्यत्र स्थान पर लगाने के कारण क्रेशर की डस्ट फसलें कुपोषित हो रही है,जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। वही इस डस्ट के कारण ग्रामीणों के फेफड़े भी धूल के गोदाम बन रहे है। इस बात से परेशान ग्रामीणों ने क्रेशर के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
किसानों का कहना है कि बार बार तहसीलदार सहित अधिकारियों से शिकायत करने पर कार्यवाही नही हो रही है। इसलिए ग्रामीणों ने यह विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया। संबंधित अधिकारियों ने वहां पहुंचकर ग्रामीणों को आश्वासन दिया तब जाकर यह विरोध प्रदर्शन शांत हुआ।
जानकारी के अनुसार ग्राम गूडर राजापुर के ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में खेतों के बीच में क्रेशर लगाई गई थी और वह क्रेशर निर्धारित जगह से अधिक जगह पर लगाई गई थी,इस संबंध में ठेकेदार दीपक शर्मा जो कि शिवपुरी के निवासी हैं उनसे कहा गया,लेकिन उन्होंने इस संबंध कोई जवाब नहीं दिया।
इसके बाद जिस क्षेत्र में क्रेशर लगाई गई थी उसके आसपास कई खेत हैं और उनमें किसान फसलें करते हैं,लेकिन उस क्रेशर से जो वहां पर कार्य किया जाता था उसकी धूल-मिट्टी की परत खेतों में जम जाती थी जिससे फसलों को काफी नुकसान होता था और जो भी वहां से वाहन निकलते थे उनको भी भारी- भरकम,धूल-मिट्टी आदि का सामना करना पड़ता, इससे फसलों के साथ साथ मानव के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड रहा है।
इस कारण किसानों और ग्रामीणों ने फैसला लिया कि इस ठेकेदार की शिकायत हम टीआई,तहसीलदार से करते हैं,लेकिन शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई लेकिन प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कोई कार्यवाही नही की इस कारण इस क्रेशर से परेशान होकर ग्रामीणों ने क्रेशर के आगे प्रदर्शन शुरू कर दिया। क्रेशर परिसर के अंदर कोई भी वाहन आने जाने नही दिया।
ग्रामीणों का यह विरोध प्रदर्शन बीते बुधवार की शाम 8 बजे से आज दोपहर तक जारी रखा,तब जाकर पुलिस फोर्स आई और तहसीलदार ने इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया उसके बाद ही स्थानीय ग्रामीण माने और इस विरोध प्रदर्शन का विराम दिया,किसानों का कहना है कि हमें फसलों का मुआवजा दिया जाए,इस पूरे प्रदर्शन में गांव के सरपंच अपनी जनता के साथ नही थे इसलिए ग्रामीण सरपंच की इस कार्यप्रणाली से नाखुश दिखे।