हार्दिक गुप्ता @ कोलारस-नामा कोलारस। वर्तमान में रवि की फसलों की बुआई का समय चल रहा है,किसान को फसलो के बुआई के लिए डीएपी की सख्त आवश्यकता होती है लेकिन कोलारस क्षेत्र के किसानों को समय पर खाद नहीं मिलने से उनकी फसलें लेट हो रही हैं,इस कारण किसानों की फसलों के उत्पादन पर असर पडने की पूरी संभावना है। पूरे मप्र में खाद का संकट चल रहा है देश का अन्नदाता देश का पेट भरने के लिए लाइन में खड़ा है। कोलारस में भी खाद की किल्लत है लेकिन आम किसानों के लिए उनकी किस्मत टोकन सिस्टम पर टिकी हुई है और बाहूबली किसानो को मर्जी के हिसाब से खाद मिल रहा है।
कोलारस के किसान का खाद के लिए संघर्ष
कोलारस नगर में तहसील प्रांगण मे खाद के टोकन लेने के लिए दस्तावेजों की लम्बी कतारें देखने को मिलती है जहां किसान बौनी के लिए खाद को तरस रहे है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक एवं पहुंच वाले लोग टोकन प्रणाली व्यवस्था से दूर घर बैठकर टोकन बनवा रहे है यदि किसानों की माने तो खाने की रोटियां तक बांध कर लाना पड़ता है।
कोलारस क्षेत्र में खाद के आने की सूचना से ही कोलारस तहसील प्रांगण एवं मंडी में स्थित खाद गोदाम में किसानों की भारी संख्या में भीड़ देखने को मिल ही है,ऐसा ही कुछ नजारा शनिवार अलसुबह से किसान खाद के टोकन लेने के तहसील प्रांगण पहुंचे जहां खाद की कमी के चलते दोपहर 2 बजे से टोकन देना बंद कर दिया गया एवं किसानों के दस्तावेज लेकर आगामी खाद रैक आने के बाद टोकन देने का आश्वासन अधिकारियों द्वारा किसानों को दिया गया हैं।
किसानों का आरोप टोकन देने में हो रहा भेदभाव
टोकन वितरण प्रणाली में हो रहे भेदभाव को लेकर कोलारस तहसील के किसानों ने आरोप लगाया कि हमारी जमीन अधिक बीघा होने के बावजूद 10 कट्टे डीएपी का ही टोकन दिया गया जबकि पहचान और पहुंच वालों को अधिक से अधिक कट्टे खाद के दिए गए अब हम इतने में बोनी कैसे करे बोनी के समय मे दिनभर यहां खाद के लिए लाइन में लगते है और बाद में बाजार से ऊँचे दामों में खरीदना ही पड़ता है
खाद की लाइनें बनी अन्नदाताओं की आफत
खाद लेने के लिए किसानों को जगह जगह सिस्टम की लाइनों से गुजरना पड़ रहा है सर्वप्रथम किसानों को टोकन लेने के लिए तहसील प्रांगण सुबह से शाम तक लाइन में लगना पड़ता है उसके बाद लगभग 1 किमी दूर मण्डी स्थित मार्कफेड के ऑफिस में टोकन जमा करने एवं खाद के पैसे जमा कराने के लिए लम्बी लाइन किसानों का इंतजार कर रही होती है जिसके बाद नजदीक ही गोदाम से खाद उठाने के लिए वाहनों की लाइन, तब जाकर किसान बौनी के लिए खाद प्राप्त कर पाता है।