शिवपुरी। शिवपुरी जिले में पर्यटन को बढावा देने के लिए कई प्रयास प्रशासन करता है,समय समय पर कार्यक्रम भी करता है,लेकिन यह सब केवल कागजी खानापूर्ति सा प्रतीत होता है,धरातल पर अगर देखा जाए तो शहर की पर्यटन उपेक्षा का शिकार है,उचित देखरेख और निगरानी ना होने के कारण पर्यटक स्थलों पर गंदगी का आलम है।
शिवपुरी शहर का प्रमुख पर्यटक स्थल भदैया कुंड पर इस समय एक मिनिट खडा होना भी मुश्किल है,किसी कारण बस भदैया कुंड के पानी में हजारो मछलियां मर चुकी है और वह मर कर सड़ांध मार रही है। वहां घूमने जाने वाले पर्यटक आसपास खड़े ही नहीं हो पा रहे हैं।
जलकुंभी को माना जा रहा है कारण
भदैया कुंड पर वोटिंग क्लब एरिया में पानी पर जलकुंभी फैली हुई है। ऐसे में पानी के अंदर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच रही है। इस वजह से अब जलीय जीवों ने दम तोड़ना शुरू कर दिया है। वर्तमान में भदैया कुंड पर पानी में हजारों मछलियां ऑक्सीजन की कमी और जलीय प्रदूषण के कारण मर गई हैं।
मरी हुई मछलियों और सीवर का पानी आने के कारण भदैया कुंड पर बदबू उठ रही है। वहां पर्यटकों का खड़ा हो पाना भी मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में जब नेशनल पार्क डायरेक्टर उत्तम शर्मा को फोन लगाया गया तो उनका फोन स्विच ऑफ था।
बाजार में आ रहीं मरी मछलियां,
मछलियों के कारोबार से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि मीट मार्केट में आ रही मछलियों के साथ भदैया कुंड
की यह मरी हुईं मछलियां कुछ लोगों द्वारा बेची जा रही हैं। ऐसे में इन मछलियों के सेवन से लोगों में बीमारियां पनपने का खतरा भी बढ़ गया है।
एनजीटी और हाईकोर्ट का आदेश बेअसर
खास बात यह है कि जलीय प्रदूषण को रोकने और पानी में से जलकुंभी हटाने को लेकर एनजीटी और हाई कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से जिला प्रशासन सहित नेशनल पार्क प्रबंधन को आदेश जारी किए हैं। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने उक्त आदेशों को खूंटी पर टांग दिया है। पूरा मामला महीनों से लालफीताशाही में उलझा हुआ है।
मैं ग्वालियर से अपने परिवार के साथ भदैया कुंड घूमने आया हूं, उम्मीद थी झील में वोटिंग करने को मिलेगी, परंतु यहां पानी में मछलियां मरी पड़ी हैं। जलकुंभी के कारण वोटिंग बंद है। पानी में बदबू के कारण खड़ा होना मुश्किल हो गया है। जैसा सुना था, भदैया कुंड वैसा नजर नहीं आया।
प्रदीप धाकड़ पर्यटक ।