काजल सिकरवार @ शिवपुरी। आज विजयदशमी के दिन शिवपुरी की महारानी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। मॉ पालकी पर सवार थी और भक्तो के कंधों पर विराजमान माँ कालरात्रि का आज रूप अद्भुत था। मॉ काली की इस शोभायात्रा में जहां खटीक समाज सहित अन्य समाजो की लगभग 5 हजार से अधिक महिलाएं और बच्चे सहित लगभग 15 हजार से भी अधिक लोग शामिल थे।
खटीक समाज द्वारा स्थापित की जाती है शिवपुरी की महारानी
शिवपुरी के खटीक समाज में वार्ड क्रमांक 30 खटीक मोहल्ला में पिछले 30 साल से माता का पंडाल लगाया जा रहा है। पिछले 8 साल से खटीक समाज ने काली माता की प्रतिमा स्थापित करना शुरू कर दी। इस पंडाल में मां काली की 9 दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है,चार समय आरती और विशेष अनुष्ठान किया जाता है। शिवपुरी की इस महारानी के प्रतिदिन हजारो की संख्या में भक्त दर्शन करने जाते है और मां कालरात्रि का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है इस कारण प्रतिदिन माता का रूप अलग दिखाई देता है।
आज पालकी पर सवार होकर निकली शिवपुरी की महारानी
आमतौर पर शिवपुरी शहर में अष्टमी की रात में माता की मूर्तियों का विसर्जन होता है,लेकिन यह शिवपुरी की महारानी विजय दशमी के दिन अपने धाम के लिए निकलती है। मॉ काली को रथ पर नहीं बल्कि पालकी पर ले जाया जाता है माता की पालकी बनाकर भक्त अपने कंधो पर लेकर निकलते है।
इस शोभायात्रा में लगभग 5 हजार से अधिक संख्या में महिलाएं ओर बच्चे थे और लगभग 10 हजार पुरुष शामिल थे। शिवपुरी की महारानी की शोभायात्रा खटीक मोहल्ले सईस पुरा से 3ण्30 बजकर शुरू हुई और मीट मार्केट होते हुए चौराहे पर पहुंची और सिद्धेश्वर रोड से गणेश कुंड से पहुंची।
शिवपुरी की सडको की दोनो ओर हजारो भक्त
महारानी की शोभायात्रा के दर्शन के लिए शिवपुरी शहर की सडको की दोनो ओर हजारो भक्त मॉ काली के दर्शन के लिए खड़े थे। कई स्थानों पर महारानी की पुष्प वर्षा की गई। महारानी की शोभायात्रा को देखने के लिए हजारों की संख्या में भक्त गणेश कुंड भी पहुंचे थे।
गणेश कुंड पर क्रेन से जल में उतारी गई महारानी
शिवपुरी के गणेश कुंड पर मॉ काली की पूजा अर्चना की उसके बाद महाआरती की गई। मॉ काली को क्रेन की सहायता से गणेश कुंड मे जल में उतारा गया। वहां मौजूद हजारो की संख्या में भक्त काली काली जय मॉ काली के जब जयघोष के जयकारे लगाए।
माता की विसर्जन के बाद रोती दिखी महिलाए
माता के विसर्जन के बाद गणेश कुंड पर स्थित महिलाए शिवपुरी महारानी के विसर्जन के बाद महिलाओं की पलक भीग रही थी। उनका कहना था कि मॉ जब हमारे मोहल्ले में विराजमानी थी,जब हमको सिर्फ एक ही काम था केवल अपनी महारानी की सेवा करना हम उनके दास थे। अब वह अपने धाम को गई,हमें अब बहुत बुरा लगेगा।