शिवपुरी। दीपावली के त्यौहार के अब चार दिन ही शेश बचे है,कल मंगलवार को धन तेरस है और इस दिन से दिपावली का त्यौहार की शुरूवात हो जाती है,देश में 31 अक्टूबंर गुरूवार को दीपावली मनाई जाऐगी।
ज्योतिषी पडिंत विकासदीप शर्मा के बताया कि 31 अक्तूबर को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट लेकर 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ लग्न (दिल्ली के समयानुसार) शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात को 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। ऐसे में गृहस्थ लोग इस समय के दौरान लक्ष्मी पूजन करें।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त ( निशीथकाल) 31 अक्तूबर
तंत्र-मंत्र साधना और तांत्रिक क्रियाओं के लिए निशीथ काल में पूजा करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है। 31 अक्टूबर को निशीथ काल में पूजा करने लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
स्थिर लग्न और प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का महत्व
मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में हुआ था और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजन करने से महालक्ष्मी स्थिर रहती हैं। ऐसे में दीपावली पर प्रदोष काल में पड़ने वाले वृषभ लग्न में ही महालक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करना अति उत्तम रहेगा। पंचांग के अनुसार 31 अक्तूबर को वृषभ लग्न शाम को 6:25 से लेकर रात्रि 8:20 तक रहेगा।
साथ ही इस समय प्रदोष काल भी मिल जाएगा। प्रदोषकाल, वृषभ लग्न और चौघड़ियां का ध्यान रखते हुए लक्ष्मी पूजन के लिए 31 अक्तूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय सर्वोत्तम रहेगा। कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
धनतेरस पूजा शाम 7:34 से रात्रि 09:30 बजे तक शुभ महूर्त है। धनतेरस का उत्सव दीपावाली की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार भगवान धन्वंतरि, स्वास्थ्य, चिकित्सा और उपचार के देवता का सम्मान करता है । शास्त्र अनुसार स्वस्थ्य शरीर से बड़ा कोई धन नही माना है।
कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।
धनतेरस के दिन भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। एक चौकी पर माता लक्ष्मी भगवान धन्वंतरि और कुबेर महाराज की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए,दीप जलाकर चंदन का तिलक लगाना चाहिए इसके बाद पूजा आराधना करनी चाहिए,पूजा आराधना करने के बाद आरती करनी चाहिए ।
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, विशेष रूप से तांबे और पीतल के बर्तन, क्योंकि वे घर में समृद्धि का प्रतीक हैं। झाड़ू, जो कि लक्ष्मी का प्रतीक भी है ,धनिया के बीज, लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि भगवान की पूजा होती है. ऐसा कहते हैं इस दिन खरीदी गई चीजों में 13 गुना बरकत होती है।
धनतेरस पर 13 दीपक जलाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और धन की कमी भी दूर होने लगती है। इसके साथ ही, माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, धनतेरस के दिन शाम को मां लक्ष्मी, कुबेर भगवान की पूजा करने के साथ यमराज की पूजा करने का विधान है. इस दिन शाम के समय दक्षिण दिशा में एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक कहते हैं।
धनतेरस के दिन आटे का चौमुखा दीपक जलाएं और उसमें सरसों का तेल भर दें। अब दीपक में 4 बाती लगाकर घर के दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक जला दें। धनतेरस के दिन प्रदोष काल और खरीदारी,दीपदान और पूजा के शुभ मुहूर्त में यम दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16000 महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त किया था ।
इसके लिए हर वर्ष दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी मनाई जाती है । नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, माँ काली, यमराज और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या को दीवाली मनाई जाती है।
इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का सबसे बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि तेरस, चौदस और बली के दिन दीपक जलाने से यम का प्रकोप होता है और मुक्ति मिलती है और जीवन में लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है। नरक से मुक्ति पाने के लिए ही नरक चतुर्दशी पूजा का विधान है ।
नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार पर चौमुखी दिया जलाना मां काली और भगवान श्री कृष्ण की कृपा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ या फिर घर की छत पर चौमुखी दीया जलाना यमराज का प्रतीक माना जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन बाल या नाखून काटने से बचना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में नकारात्मकता आती है और कलह-क्लेश की स्थिति बनती है। इस दिन आप घर की दक्षिण दिशा को गंदा ना करें और यमराज की पूजा करें, ध्यान रहे कि इस दिन किसी भी जीव को परेशान ना करें और ना ही मारें।
अकाल मृत्यु के देवता यम के नाम का दीपक ( यम दीपक ) जलाने के लिए सबसे पहले गाय के गोबर का चतुर्मुखी दीपक बना लें। फिर उसमें लाल बाती लगाएं और उसमें सरसों का तेल डालें। नरक चतुर्दशी के दिन यम देव के नाम का दीया जलाने के साथ ही सूर्यास्त के बाद घरों के दरवाजे पर 14 दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए।
इन सभी दीयों को शाम 5 बजकर 27 मिनट से पहले जला दें ।नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार पर चौमुखी दीया जलाया जाता है। इसके अलावा, एक चौमुखी दीया पीपल के पेड़ के नीचे भी जलाना चाहिए।
अगर किसी के घर के पास पीपल का पेड़ उपलब्ध नहीं है तो वे लोग चौमुखी दीया घर के मुख्य द्वार के अलावा, घर की छत पर भी जला सकते हैं।
छोटी दीपावली पर घर में पांच दीपक 5 स्थानों पर जलाना भी शुभ माना जाता है। जिसमें से पहला दीपक किसी ऊंचे स्थान, दूसरा घर की रसोई में, तीसरा दीपक पीपल के पेड़ के नीचे, चौथा दीपक पानी रखने के स्थान के पास और पांचवा दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए।
दिपावली की पूजा का विधान
दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप मंत्र शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्,शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।
दीपावली के दिन
मिट्टी के 31 दीपक, 51 दीपक या 108 दीपक जलाना चाहिए. सभी दीपको को हमें सरसों के तेल से जलाना चाहिए. कुछ बड़े दीपक चतुर्मुख होने चाहिए जो घर के आंगन और दरवाजें की चौखट के पास रखे जाते हैं
लक्ष्मी पूजन करते समय एक सरसों के तेल का और एक घी का दीपक होना आवश्यक है। शास्त्रों के अनुसार, माता लक्ष्मी और माता पार्वती को मोगरा, चंपा, रातरानी आदि जैसे सफेद फूल इन दोनों ही देवियों को नहीं चढ़ाने चाहिए। कमल पुष्प अति प्रिय माना है ।
दीपावली के दिन जले दीये को अगले दिन कूड़े में बिल्कुल न फेंके, इससे माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं।
दीपवाली की रात्रि में जुआ खेलना,शराब पीना ओर किसी भी प्रकार का नशा करने से जीवन मे महारोग का भय बना रहता है ।
पूजाकाल में जलता हुआ दीपक किसी कारणवश बुझ भी जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है और आप दीपक को दोबारा जलाकर अपनी प्रार्थना जारी रख सकते हैं ।
घर में कभी पुराना दीपक नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर की सुख-शांति छिन जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार पुराना दिया सिर्फ नरक चतुर्दशी के दिन ही जलाना चाहिए। कहते हैं कि इस दिन यमराज के लिए पुराना दीपक जलाया जाता है।
पूजा समाप्त होने के बाद रात भर मूर्तियों के पास शुद्ध घी का दीपक जलाकर रखें। अगले दिन शुभ मुहूर्त देखकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं। फिर विसर्जन मंत्र का जाप करें और मूर्तियों को थोड़ा सा हिला दें।
दीपक में लौंग डालकर जलाने से धन की कमी दूर होती है। इसके अलावा, व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और जीवन में खूब पैसा कमाते हैं, शाम को पूर्व दिशा की ओर दीपक का मुंह होना चाहिए। इससे आयु में वृद्धि होती है और साथ ही अकाल मृत्यु योग नष्ट हो जाता है।
कैसे करे माता लक्ष्मी को प्रसन्न
माता लक्ष्मी को लाल कमल का फूल पूजा में जरुर अर्पित करें। श्री शूक्त और कनकधारा स्त्रोत का पाठ जरूर करें, इससे माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माता लक्ष्मी को पूजा के दौरान नारियल, खीर, सिंघाड़ा माता रानी को जरुर चढ़ाएं।
सबसे बेहतर प्रसाद माता के लिए यही है। दीपावली की रात 5 सुपारी, पांच हल्दी गांठ, पांच गोमती चक्र, पांच कौड़ी लेकर एक लाल कपड़ा में बांध के माता लक्ष्मी और गणेश जी के पूजा स्थान पर रख दें, और पूजन के बाद उसे अपने लॉकर में रख दें। इससे विशेष तरक्की होती है, लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होगी, लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। दीपावली के दिन गोधूलि बेला के पहले बेसन के लड्डू का चूर्ण काली चीटियों को जरूर खिलाएं।
माता लक्ष्मी के विशेष मंत्र :-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
ॐ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
लक्ष्मी पूजा के लिए शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. पूजा के बाद भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करनी चाहिए. व्यापारी लोग , वहीखाता गल्ले ओर अपनी मशीनरी की पूजा करते हैं. पूजा के बाद क्षमा प्रार्थना और आरती करनी चाहिए.
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।। मां लक्ष्मी क इस बीज मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस बीज मंत्र के जाप से धन रोकने वाले दोष दूर हो जाते हैं। ध्यान रहे इस मंत्र का जाप कमल गट्टे की माला से करना चाहिए।