हार्दिक गुप्ता @कोलारस। शिवपुरी जिले की कोलारस तहसील में आज एसडीएम कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान एसडीएम कोलारस ने 14 मिनट में एक आदेश को अमल में लाने के आदेश रन्नौद तहसीलदार को किए है जिसके लिए पीड़ित 14 साल कोलारस शिवपुरी और ग्वालियर के चक्कर काट रहा था। पीड़ित इस कार्यवाही को देखकर खुश होकर यह कहकर गया कि आज इस आदेश का वनवास पूरा हो गया है।
जानकारी के अनुसार रन्नौद क्षेत्र के रहने वाले किसान बुंदेल सिंह पुत्र सुंदरलाल खंगार को सर्वे क्रमांक 179/1 ग्राम जरिया पर वर्ष 2002 मे रन्नौद तहसील आदेश से पट्टा प्राप्त हुआ था,तहसील न्यायालय टप्पा रन्नौद के तत्कालीन तहसीलदार ने इस आदेश को अमल में नहीं लिया था। बुंदेल सिंह ने कोलारस एसडीएम कार्यालय में सन 2005 में अपील की,इसके बाद कलेक्टर शिवपुरी को भी इस मामले में अपील की गई।
लेकिन यहां भी उसकी सुनवाई नहीं हुई,अपर आयुक्त ग्वालियर के समक्ष निगरानी प्रस्तुत की गई जिसमें वर्ष 2011 में अनुविभागीय अधिकारी के आदेश को अपर आयुक्त ने विधि सम्मत मानकर यथावत रखा। इसी प्रकरण में कलेक्ट्रेट न्यायालय में शिकायत के रूप में फिर बुंदेलसिंह आदि द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर कलेक्टर शिवपुरी द्वारा 2012 में स्वमेव निगरानी मे पट्टा निरस्त कर दिया गया
बुंदेल सिंह आदि कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर की शरण ली जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2013 में कलेक्टर के आदेश को खण्डित किया एवं पुनः प्रकरण पर सुनवाई के कलेक्टर को निर्देश दिए,कलेक्टर शिवपुरी द्वारा हाई कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2015 मे बुंदेलसिंह आदि के पट्टो को बहाल किया गया।
किसान ने बताया कि कलेक्टर का यह आदेश पटवारी अमल में नहीं ला रहे थे,उसके पट्टे का विधिवत रूप नहीं दिया जा रहा था और ना ही उसकी जमीन पर कब्जा मिला था। जमीन पर किसी दूसरे व्यक्ति का कब्जा था। पटवारी को कब्जाधारी लगातार रिश्वत दे रहा था इस कारण उस वह पट्टे की भूमि पर काबिज नहीं हो पा रहा था।
आज किसान बुंदेल सिंह एसडीएम कोलारस के पास पहुंचा और एसडीएम को अपने पट्टा कांड की 14 साल की यात्रा कह सुनाई,किसान अपनी अपबीती सुनाते हुए रोने लगा,किसान का रोना देख एसडीएम भी भावुक हो गए और उसकी पूरी फाइल का अवलोकन करते हुए सीधे रन्नौद तहसीलदार को अवगत कराते हुए कहा कि कल दिनांक मे किसान बुंदेल सिंह का पट्टा अमल मे आना चाहिए और इसको पट्टे की भूमि पर काबिज करना है। जाते जाते किसान कह रहा था कि आज मेरे पट्टे का वनवास पूरा हो गया है।