SHIVPURI NEWS - कोलारस में 45 लाख रुपए में एक लीटर ऑक्सीजन नहीं बना पाया प्लॉट, हाथी बंध गया

Bhopal Samachar

हार्दिक गुप्ता कोलारसनामा कोलारस। कोरोना की दूसरी लहर में शहर ही नहीं पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी के चलते हाहाकार मच गया था। हालत यह हो गई थी कि ऑक्सीजन के लिए लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा था, तो वहीं वायु सेना को ऑक्सीजन लेकर आना पड़ा था। इसके बाद सबक लेते हुए शहर के निजी और सरकारी सभी प्रमुख अस्पतालों में बिना सोचे-समझे ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय ले लिया गया था।

कोलारस के स्वास्थ्य केंद्र में 45 लाख की लागत से 200 एलपीएम क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट का शुभारंभ किया गया किंतु तीसरी लहर की दस्तक अप्रभावी होने के कारण प्रशासनिक स्तर से इसमें लापरवाही बरती गई। और यह प्लांट आज खुद अपनी सांसे गिन रहा है लाखो की लागत से लगाए इस प्लांट में मशीन धूल खा रही है इस प्लांट के माध्यम से 25 व्यक्तियों को एक साथ ऑक्सीजन दी जा सकती थीं।

45 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था ऑक्सीजन प्लांट

दूसरी लहर के बाद और तीसरी लहर की शुरुआत में शहर में करीब 45 लाख की लागत से अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की गई थी। कोलारस के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में  एक भी कोविड मरीज भर्ती नहीं किया गया था, फिर भी यहां ऑक्सीजन प्लांट बनाने का निर्णय लिया गया था। करीब 2 वर्ष पूर्व अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो चुका हैं, लेकिन इनका एक बार भी इस्तेमाल नहीं हुआ। इसके बाद से ही प्लांट धूल खा रहा हैं,इस प्लॉट की कीमत 45 लाख है और यह प्लॉट एक लीटर आक्जीन भी नहीं बना पाया।  

ट्रिप मार रहा ऑक्सीजन प्लांट

इस संबंध में सरकारी अस्पताल के जिम्मेदारों से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि कोलारस का ऑक्सीजन प्लांट चालू करते ही ट्रिप मार रहा है जिसमे कंपनी का कहना है कि विद्युत सप्लाई के कारण समस्या है और विद्युत विभाग का कहना है कि रिले इनवर्टर मे गड़बड़ है प्लांट लगाने वाली कम्पनी एवं विद्युत विभाग को पत्राचार के माध्यम से अवगत करा दिया है एवं वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत करा चुके है।

2 विभागो में उलझा प्लॉट,दस हजार रुपए हर माह बिल

दो बिभागो की पेच में फसे इस प्लॉट में अभी तक एक लीटर ऑक्सीजन नही बन पाई है। इसमे बिजली का कनेक्शन हो चुका है जिसका हर माह कम से कम 10 हजार रुपए बिल आता है। इसके अतिरिक्त 45 लाख रुपए  धीरे धीरे कबाड़ में तब्दील हो रहे। जिम्मेदार केवल पत्र पत्र ही खेल रहे है।

बिना चेक किए कैसे कर दिया 45 लाख का भुगतान

इस पूरे मामले में गौर करने के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि इस प्लांट को हैंडओवर करने वाले अधिकारी ने इसको चला कर क्यों नही देखा। जब इसमे इतनी बड़ी समस्या था फिर कैसे इस प्लॉट का भुगतान कर दिया गया। यह प्लॉट पीआईयू के माध्यम से बनाया गया था और उसका भुगतान जिला स्वास्थय विभाग से किया गया था,अब इसमे जांच होनी चाहिए कि इसको हैंड आवर किस अधिकारी ने किया था,बिना जांच करें मशीन को चलाकर इसका भुगतान कैसे हो गया यह जांच का विषय है।

जिला अस्पताल आपूर्ति करता है यहां ऑक्सीजन की

कोलारस के स्वास्थ्य केंद्र पर आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति जिला अस्पताल से होती है। अगर कोलारस मे स्थापित आऑक्सीजन प्लांट में ऑक्सीजन बनना शुरू जाए तो शिवपुरी से मांगने की आवश्यकता नहीं होगी और वही  मरीज को सिलेंडर की जगह पाइप लाइन से ऑक्सीजन मिल जाएगी और जो ऑक्सीजन का अतिरिक्त निर्माण होगा वह प्राइवेट अस्पतालो या फिर किसी कंपनी में बिक जाएगी,जिससे कम से कम बिजली का खर्चा तो निकल ही सकेगा।