भोपाल। शिवपुरी-श्योपुर की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए विदेशी चीतों को पिछले साल से बाड़े में बंद कर रखा है। अब तेजी से चीतों को खुले जंगल मे आजाद करने पर विचार पिछले 2 माह से चल रहा है,लेकिन अभी तक ठोस रणनीति बनी नहीं है।
पार्क में बसाए गए चीतों को खुले जंगल में छोड़ने से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की संयुक्त समिति बनाई जाएगी। यह समिति ही तय करेगी कि चीतों को खुले जंगल में कब छोड़ा जाए। मध्य प्रदेश वन विभाग ने इन दो राज्यों के साथ मिलकर तैयारी शुरू कर दी है।
दरअसल, खुले जंगल में छोड़ने के बाद चीते दूर तक चले जाते हैं और इनके विचरण की कोई सीमा नहीं है। इन चीतों के समीपस्थ दो अन्य राज्यों राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जंगलों में भी जाने की संभावना रहती है।
इसलिए केंद्र के निर्देश पर मध्य प्रदेश सरकार एक संयुक्त अंतरराज्यीय समिति गठित करने जा रही है। इसमें तीनों राज्यों के अधिकारी शामिल रहेंगे। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि अन्य राज्य की सीमा में चीतों के जाने पर उनके उचित प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ही निर्देश दे सकती है। संयुक्त समिति बनने के बाद चीतों के प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई जाएगी ताकि उनकी सुरक्षा रहे और उनसे अन्य व्यक्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। खुले जंगल में चीतों को छोड़ने के निर्णय के साथ यह भी तय किया जाएगा कि उन्हें वापस नहीं लाया जाएगा। संबंधित वन मंडल उनकी निगरानी करेगा।
12 शावक, 12 वयस्क चीते कूनो में कर रहे विचरण
खुले जंगल में छोड़ा गया चीता पवन कूनो की सीमा लांघ कर राजस्थान में चला गया था। हालांकि वह कूनो में लौट आया था। यहां 27 अगस्त को पवन की मौत हो गई थी। इससे सबक लेते हुए अब राज्यों के साथ मिलकर चीतों की सुरक्षा की कार्ययोजना बनाई जा रही है। कूनो में इस समय 12 शावक व 12 वयस्क चीते हैं।
मप्र, राजस्थान और उम्र के साथ मिलक तीनों राज्यों के बीच चीता कॉरिडोर भी बनाया जाएगा खुले में चीतों के विचरण के लिए मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क और नजदीकी राजस्थान व उत्तर प्रदेश के 27 वन प्रभागों के बीच चीता कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इसके लिए मध्य प्रदेश के 12, राजस्थान के 13 और उत्तर प्रदेश के दो वन प्रभाग चिह्नित किए गए हैं।