शिवपुरी। जिले में सोयाबीन की फसल अधिकांश क्षेत्रों में फलियों में दाने भरने की अवस्था में है कही कही फूलने की अवस्था में भी सोयाबीन है। ऐसी स्थिति में सोयाबीन फसल में फली क्षेदक इल्ली, सेमीलूपर इल्ली, तम्बाकू की इल्ली आदि कीटों का प्रकोप होने की संभावना बनी हुई है। किसान भाई सोयाबीन फसल का इल्लियों के प्रकोप से बचाव करें।
इस प्रकार के कीट फली के अंदर रहकर दानों को नुकसान पहुंचाते है। इनके नियंत्रण के लिए हेल्ड इंडोक्साकार्य 15.8 प्रतिशत ई.सी. (333 मि.ली. प्रति है.) अथवा इमामेक्टिन वेजोएट 01.90 (425 मि.ली. प्रति है.) अथवा फल डियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मि.ली.) का छिड़काव करें। इस अवस्था में राइजोक्टोनिया एरियल क्लाइट करें लक्षण पत्तियों पर आने की दशा में पायराक्लोस्ट्रोबिन 20 प्रतिशत 375-500 ग्राम प्रति है. अथवा फ्लुक्स एक्साइड 167 G/L + पायराक्लोस्ट्रोबिन 333 G/L (300 मि.ली. प्रति है.) दवा का छिड़काव करें।
पिला मोजेक रोग इस अवस्था में सफेद मक्खी/एसिड के कारण फैलता है। इसकी रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रिड 25 प्रतिशत वायाफेथिन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 250 ग्राम का छिडकाव करें इसके छिड़काव से तना मक्खी का नियंत्रण भी किया जा सकता है।