शिवपुरी। शिवपुरी न्यायालय के न्यायाधीश जेएमएफसी मिताली वाणी ने साढ़े तीन लाख के चेक बाउंस के मामले में दोनों पक्षों के तर्क सुनने के पश्चात आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। इस मामले में चेक किसी और के खाते का था और आरोपी एक मेडीकल संचालक को बना दिया गया। आरोपी के न तो चेक पर हस्ताक्षर थे और न ही उसके खाते का चेक था। आरोपी की ओर से पैरवी एडवोकेट भरत ओझा द्वारा की गई।
यह है मामला
फरियादी रामरतन जाटव पुत्र रामचरण जाटव निवासी ग्राम सेसई थाना कोलारस से निजी आवश्यकता बताकर अनिल शिवहरे पुत्र रमेश शिवहरे मेडिकल संचालक निवासी ग्वालियर बायपास शिवपुरी ने 3.50,000 रुपए उधार लिए थे। उधार ली गई इस राशि के भुगतान के लिए अपने बंधन बैंक शाखा शिवपुरी का आगामी दिनांक का चेक दिया था।
इस चेक को जब भुगतान के लिए बैंक में लगाया तो उसमें एमाउंट न होने पर चेक बाउंस हो गया। जिसका परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। फरियादी की साक्ष्य के दौरान अभियुक्त अनिल शिवहरे के अधिवक्ता भरत ओझा द्वारा अभियुक्त की ओर से यह बचाव लिया गया कि उक्त चेक न तो अभियुक्त के खाते का है और न ही उक्त चेक पर उसके हस्ताक्षर हैं।
चेक की सत्यता साबित करने के लिए अभियुक्त के अभिभाषक द्वारा न्यायालय के समक्ष आवेदन पेश कर बैंक से चेक से संबंधित रिकार्ड तलब कराया गया। न्यायालय के आदेश बंधन बैंक के शाखा प्रबंधक ने सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर न्यायालय के समक्ष बताया कि यह चेक अभियुक्त के खाते का नहीं है और न ही चेक पर अंकित खाता क्रमांक उसका है।
फिर दिया न्यायालय ने फैसला
न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के पश्चात सभी साक्ष्य एवं दस्तावेजों में यह पाया कि उक्त चेक न तो आरोपी के खाते का है, और न ही उस पर आरोपी के हस्ताक्षर हैं। इस चैक पर किसी टीना नाम की महिला का है, और उक्त चेक टीना नाम के खाते से जारी किया गया है। आरोपी अनिल शिवहरे का उक्त चेक न होना पाए जाने पर आरोपी को धारा 138 एनआई एक्ट के मामले में दोषमुक्त कर दिया।