SHIVPURI NEWS - शिवपुरी का काजू संकट में, समझिए पैदावार के लिए जिले की मिट्टी का गणित

Bhopal Samachar

शिवपुरी। शिवपुरी जिले का काजू के नाम से प्रसिद्ध मूंगफली इस समय खेतों में है। अगस्त माह मे औसत से अधिक बारिश होने के कारण जिले के पोहरी बैराड़ क्षेत्र में संकट में आ चुकी है,वही करैरा नरवर और पिछोर क्षेत्र में मूंगफली की पैदावार पर बारिश का कोई असर नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण स्थानीय मिट्टी का होना है।

प्रदेश में मूंगफली की पैदावार में नंबर वन शिवपुरी

प्रदेश में सबसे अधिक मूंगफली का उत्पादन शिवपुरी जिले में होता है। पिछली बार मूंगफली के दाम अच्छे मिलने की वजह से इस बार शिवपुरी, बैराड़ व पोहरी क्षेत्र के किसानों ने सोयाबीन को कम करके मूंगफली की बोवनी अधिक कर दी थी। लागत लगाने के बाद जब खेत में पौधे निकल आए, तो होने वाली बारिश का क्रम न रुकने की वजह से खेतों में पानी भर गया। जिसके चलते खेत में रुके पानी ने मूंगफली के पौधों को गला दिया, तथा खेत में कुछ पौधे तो नष्ट ही हो गए। ऐसे में किसान सिर पकड़ कर बैठा है कि अब मूंगफली में लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है।

इस एरिया में भुरभुरी मिट्टी
शिवपुरी जिले के करैरा-नरवर और पिछोर क्षेत्र में मूंगफली की पैदावार की जाती है। इस क्षेत्र के खेतों की मिट्टी भुरभुरी है,इस कारण खेतों में बारिश का पानी भरा नहीं होता है निकल जाता है इस कारण इस क्षेत्र में इस वर्ष के मूंगफली के उत्पादन पर अधिक फर्क नही पडेगा। करैरा में मूंगफली ने शिवपुरी के काजू के नाम से अपनी पहचान बनाई है।

पोहरी बैराड़ में काली मिट्टी
पोहरी,बैराड़ में शिवपुरी में काली मिट्टी होने की वजह से खेत में पानी भरने से पौधों की जड़ें गल जाती हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में मूंगफली की फसल को नुकसान हो गया। जिले में अगस्त माह में ही औसत से अधिक हुई बारिश ने जिले के पोहरी, बैराड़ व शिवपुरी क्षेत्र में किसानों की मूंगफली की फसल को तबाह कर दिया। खेतों में भरे पानी से मूंगफली गलने से किसान की लागत तक चली गई।

40 गांव में बर्बाद हो गई मूंगफली
बैराड क्षेत्र के रायपुर गांव के रहने वाले हरी सिंह धाकड़ जिपं सदस्य वार्ड क्रमांक 1 ने बताया कि इस बार पोहरी विधानसभा  क्षेत्र में मूंगफली का रकबा 10 प्रतिशत अधिक बढ़ गया था। हमने क्षेत्र के 40 गांव में जाकर देखा है, वहां अधिक बारिश होने एवं काली मिट्टी में पानी भरा रहने की वजह से मूंगफली की फसल गलकर बर्बाद हो गई।

एक लाख का नुकसान
पोहरी क्षेत्र में स्थित बछोरा गाँव के रहने वाले कैलाश धाकड ने बताया कि पिछली बार दाम अच्छे होने की वजह से इस बार हमने मूंगफली का रकबा बढ़ाकर 13 बीघा कर दिया था। प्रति बीघा 8 हजार रुपए की लागत आई, लेकिन अधिक बारिश ने पूरी फसल ही तबाह कर दी। हमें तो एक लाख रुपए की लागत का नुकसान हो गया।

खराब गई मूंगफली की फसल
हमने अपने खेत में मूंगफली की फसल बोई थी, जो इस बार हुई अधिक बारिश ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। खेत में पानी भरा होने से पूरी फसल बैठ गई तथा अब उसमें कुछ भी नहीं बचा। सरकार हमें हुए नुकसान का मुआवजा दे।
कोमल सिंह यादव, कृषक बीलारा

10 बीघा की फसल हो गई बर्बाद
हमने इस बार 10 बीघा जमीन में मूंगफली की फसल की बोवनी की थी। अधिक बारिश होने की वजह से फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। खेतों में पानी भरा होने की वजह से मूंगफली के पौधे गलकर नष्ट हो गए।
सतीश धाकड़ कृषक ऊंची बरोद बैराड़

सेना के जवानों के कारण काजू के रूप मे फेमस
करैरा में भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस बल की एसपीटी बटालियन और आरटीसी सहित दो शाखाएं है,वही शिवपुरी शहर में 18वीं बटालियन,आईटीबीपी कैंपस और बडौदी के पास भी फोर्स का बडा विशाल कैंपस है। इस कारण देश के हर हिस्से का जवान इन कैंपस में निवास कर रहा है। शिवपुरी की मूंगफली टेस्ट में काजू को टक्कर देती है।  जब भी कोई जवान करैरा आईटीबीपी में कोर्स या अन्य काम के लिए आता है तो वह अपने घर मूंगफली ले जाना नहीं भूलता है। इस संबंध में जब आईटीबीपी के जवान हाकिम सिंह, अश्वनी, पंकज से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि करैरा की मूंगफली का जो स्वाद है, वह हमारे यहां की मूंगफली में नहीं है। इसको खाने पर बिल्कुल तिलहन की महक नहीं आती और ऐसा स्वाद खाने में आता हैं जैसे काजू खा रहे हों।

निदाई-गुड़ाई करें
किसानों को अपनी फसल का बीमा करवाना चाहिए। यदि खेतों में पानी भर गया है, तो उसकी निकासी करके किसान फसल की निदाई-गुड़ाई कर लें, तो फसल की रिकवरी हो जाएगी।
यूएस तोमर, उप संचालक कृषि