`खनियाधाना। पिछोर अनुविभाग पिछोर अंतर्गत जनपद पंचायत खनियाधाना में स्थित ग्राम पंचायत दवियाकला में पंचायत सचिव द्वारा भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं पार कर दी गई यहां पंचायत सचिव ने निर्माण और विकास कार्यों में तो भ्रष्टाचार किया ही है बल्कि मृत व्यक्तियों के नाम से पैसा निकाल कर भ्रष्टाचार की हद ही पार कर दी है हालांकि इसकी शिकायत ग्राम के ही जितेंद्र यादव तथा भैयालाल द्वारा जनपद सीईओ से लेकर जिला पंचायत सीईओ तक की गई जिस पर देर सवेर ही सही जिला पंचायत द्वारा सचिव के वित्तीय अधिकार छीन लिए गए अब ग्रामीण पंचायत से हटाने की भी मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2019 में भी यह सचिव अन्य अन्य पंचायत से निलंबित किया जा चुका है। ग्राम दविया कला में निवासरत विनोद पाल की मृत्यु 21 फरवरी 2021 को तथा सुनील परिहार की मृत्यु 8 जनवरी 2022 को तथा सुखबीर पाल की मृत्यु 7 सितंबर 2021 को हो गई थी लेकिन पंचायत सचिव विशाल सिंह यादव ने इन मर चुके मजदूरों से न सिर्फ कागजों में मजदूरी करा डाली बल्कि इनका 6-6 हजार रूपए का भुगतान भी उनके परिजनों के खाते में कर पैसे भी आहरण कर लिए।
विनोद पाल 21 फरवरी 2021 को और सुनील परिहार 8 जनवरी 22 को तथा सुखबीर पाल 7 सितंबर 2021 को हमेशा के लिए दुनिया छोड़कर चले गए लेकिन 14 मार्च 2022 से लेकर 27 मार्च 2022 तक 14 दिन दवियाकला स्थित हर्ष की पहाड़ी सर्वे नंबर 1777 पर महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत कंन्टूटेंच के कार्य में इन मृतकों को मजदूर बनाकर विधवत मजदूरी कराकर रोजगार गारंटी योजना के पोर्टल पर मस्टर डाल दिए और उनके परिजनों के बैंक खाते लगाकर भुगतान कर दिया।
नियमानुसार रोजगार गारंटी का कार्य (जीआरएस) रोजगार सहायक देखता है लेकिन इस अवधि में भ्रष्टाचार के मामले के चलते रोजगार सहायक निलंबित था इसलिए उसका प्रभार और आईडी इन सचिव महोदय के पास ही थी तारीफ की बात तो यह है कि इन सभी की मृत्यु के समय मृत्यु प्रमाण पत्र भी इन्हीं सचिव साहब द्वारा जारी किया गया था।
शिकायतकर्ता ने बताया कि इस पूरे मामले की शिकायत 6 अगस्त 2024 को की गई सचिव थी देखा जाए तो तात्कालिक सरपंच और सचिव द्वारा किया गया भ्रष्टाचार यही नहीं थमा वर्ष 2020-21 मैं लगभग 200 मीटर मिडिल स्कूल की बाउंड्री वाल के लिए 9 लाख 25 हजार रू स्वीकृत हुए थे जिसमें राशि तो पूरी आहरण कर ली गई पर काम केवल 10% ही हुआ है वहीं प्रधानमंत्री सड़क से नाली निर्माण लागत 7 लाख 50 हजार रू स्वीकृत हुए थे यहां भी 6 लाख रुपए से अधिक राशि निकली जा चुकी हैं पर काम केवल 50% ही हुआ है।
इसके अलावा एक अन्य नाली बीएसएनएल टावर लेकर 6 लाख में स्वीकृत हुई थी यहां भी 5 लाख रू से अधिक आहरण कर लिए गए और काम केवल 40% ही हुआ है ग्रामीण कहते हैं कि लगभग 3 वर्ष से कम आधे अधूरे पड़े हैं और राशि लगभग पूरी निकल जा चुकी है।