शिवपुरी। इस कलयुग में डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया गया है क्यो कि वह इंसानो की जान बचाते है,लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह डॉक्टर जनता को यम के दूत के भरोसे छोड़कर गायब हो जाते है। मामला पोहरी विधानसभा के गोपालपुर और धौलागढ़ से मिल रही है,इन गांवों में स्वास्थ्य विभाग ने लाखो की लागत से आयुष्मान आरोग्य मंदिर का निर्माण कराया था। इन आरोग्य मंदिर पर डॉक्टर और अन्य स्टाफ तैनात किया है लेकिन ना ही यह डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर आते है ओर ना ही अन्य स्टाफ,इस कारण इस क्षेत्र के ग्रामीणों को झोला छाप (यम के दूत ) डॉक्टर से अपना इलाज कराना पड़ता है।
9 हजार की आबादी झोलाछाप डॉक्टरो के भरोसे
धौलागढ़ और गोपालपुर गांव की करीब नौ हजार की आबादी इन सब प्रयासों के बावजूद झोलाछाप डॉक्टरों पर ही निर्भर है। इसका प्रमुख कारण यह है कि धौलागढ़ में पदस्थ आयुष चिकित्सक डा तारचंद्र आर्य ग्वालियर में रहते हैं और महीने में एकाध बार ही केंद्र पर पहुंचते हैं। डॉक्टर आर्य पर ही गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्र का चार्ज भी है। ऐसे में यही हालात वहां के भी हैं। खास बात तो यह है कि गांव वालों को यहां पदस्थ चिकित्सक का नाम तक पता नहीं है, क्योंकि वह कभी गांव पहुंचते ही नहीं।
आंकड़ों में चल रहा है इलाज
अगर विभागीय सूत्रों की मानें तो इन दोनों की स्वास्थ्य केंद्रों पर जितनी दवाएं वितरित करना बताई जा रही हैं, वह सिर्फ कागजों में वितरित हो रही हैं, वास्तविकता में इन दवाओं का सिर्फ काला-पीला ही किया जा रहा है,यहां केवल कागजो में ही इलाज चल रहा है।
उपचार के लिए परेशान ग्रामीण
वर्तमान में गांवों में मौसमी बीमारी फैली हुई हैं, कोई उल्टी-दस्त से परेशान है तो कोई वायरल की चपेट में है, लेकिन उन्हें शासकीय स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यहां डाक्टर पहुंच ही नहीं रहे हैं। धौलागढ़ में तो कभी कभार अधीनस्थ अमला पहुंचने से मरीजों को परेशानी बताकर दवा मिल भी जाती है, परंतु गोपालपुर में हाल बद से बदतर हैं।
इनका कहना है
ग्रामीणों से शिकायत तो प्राप्त हो रही हैं, हम इस मामले को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
डा. अनिल वर्मा, आयुष अधिकारी।
9 हजार की आबादी झोलाछाप डॉक्टरो के भरोसे
धौलागढ़ और गोपालपुर गांव की करीब नौ हजार की आबादी इन सब प्रयासों के बावजूद झोलाछाप डॉक्टरों पर ही निर्भर है। इसका प्रमुख कारण यह है कि धौलागढ़ में पदस्थ आयुष चिकित्सक डा तारचंद्र आर्य ग्वालियर में रहते हैं और महीने में एकाध बार ही केंद्र पर पहुंचते हैं। डॉक्टर आर्य पर ही गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्र का चार्ज भी है। ऐसे में यही हालात वहां के भी हैं। खास बात तो यह है कि गांव वालों को यहां पदस्थ चिकित्सक का नाम तक पता नहीं है, क्योंकि वह कभी गांव पहुंचते ही नहीं।
आंकड़ों में चल रहा है इलाज
अगर विभागीय सूत्रों की मानें तो इन दोनों की स्वास्थ्य केंद्रों पर जितनी दवाएं वितरित करना बताई जा रही हैं, वह सिर्फ कागजों में वितरित हो रही हैं, वास्तविकता में इन दवाओं का सिर्फ काला-पीला ही किया जा रहा है,यहां केवल कागजो में ही इलाज चल रहा है।
उपचार के लिए परेशान ग्रामीण
वर्तमान में गांवों में मौसमी बीमारी फैली हुई हैं, कोई उल्टी-दस्त से परेशान है तो कोई वायरल की चपेट में है, लेकिन उन्हें शासकीय स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि यहां डाक्टर पहुंच ही नहीं रहे हैं। धौलागढ़ में तो कभी कभार अधीनस्थ अमला पहुंचने से मरीजों को परेशानी बताकर दवा मिल भी जाती है, परंतु गोपालपुर में हाल बद से बदतर हैं।
इनका कहना है
ग्रामीणों से शिकायत तो प्राप्त हो रही हैं, हम इस मामले को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाकर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
डा. अनिल वर्मा, आयुष अधिकारी।