SHIVPURI NEWS - छिब्बर स्कूल के बच्चों ने बनाए इको फ्रेंडली गणेशा, मिट्टी से गणेश बनाओ प्रतियोगिता

Bhopal Samachar

शिवपुरी। गणेश चतुर्थी के त्योहार का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है हर साल गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाई जाती है यह त्योहार पूरे 10 दिन चलता है व अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन नदियों में कर दिया जाता है कोरोना काल आने के पश्चात ही लोगों ने प्रकृति को समझा है जिस के चलते इको फ्रेंडली मूर्तियों की मांग बाजारों में बढ गयी है। इस साल गणेश चर्तुथी 7 सितंबर शनिवार को है।  

शिवपुरी के प्रसिद्ध बाल शिक्षा निकेतन हाई छिब्बर स्कूल में प्रकृति को सहेजने के उद्देश्य से स्कूल प्रबंधन ने विद्यालय में मिट्टी से गणेश बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन कराया है।
आज विद्यालय में मिट्टी से गणेश जी बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।जिसमें प्राइमरी के 55, मिडिल और हायर सेकेंडरी के 48 कुल 103 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। बच्चो को मिट्टी से माई फ्रेंड गणेशा की मूर्ति मिट्टी से बनाने का टास्क दिया था। बच्चों ने इस प्रतियोगिता में बड़े ही उत्साह से भाग लिया और अपने नन्हे हाथों से विघ्नहर्ता की प्रतिमा की रचना की।

बच्चों ने बताया उन्होने अपने अपने हिसाब से सर्च कर मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण किया है। मूर्ति का स्वरूप उन्होंने विभिन्न प्रकार के फोटो को देखकर चयन किया। श्रीगणेश बुद्धि के देवता भी है हमने उनसे प्रार्थना की हमारी बुद्धि पढ़ाई में लगाए। बच्चों ने बहुत ही सुंदर सुंदर गणेश प्रतिमाओ का निर्माण किया अब इन श्रीजी का वह अपने अपने घरों में गणेश चतुर्थी को स्थापित करे पूरे 10 दिन तक पूजा अर्चना करेगें। इस प्रतियोगिता से जहां बच्चों ने प्राकृतिक जल संरचनाओं को दूषित होने से रोका और लोगों में जागरूकता का संदेश दिया।

पीओपी की मूर्तियां जल संसाधनों को दूषित करती है

पीओपी यानी प्लास्टर और पेरिस की मूर्तियां जिप्सम व चूना व सीमेंट से बनाई जाती है जो कि देखने में आर्कषण होने के साथ ही बाजारों में कम दामों में बेची जाती है लेकिन जब उन्हें विसर्जित किया जाता है तो वह पानी में घुल नहीं पाती जो कि प्रकृति के लिए घातक साबित होता है वहीं इको फ्रेंडली मूर्तियां आसानी से पानी में घुल जाती है।

इको फ्रेंडली मूर्तियां पानी में जल्दी घुल जाती है

पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिए प्लास्टर और पेरिस के स्थान पर हम इको फ्रेंडली यानी मिट्टी के गणपति बना कर प्रकृति का संतुलन बनाए रख सकते है क्योंकि यह आसानी से पानी में बिना किसी प्रदूषण के घुल जाती है।

कच्चे रंगों का प्रयोग व कागज व पुट्ठे से बनकर तैयार होने वाली इको फ्रेंडली मूर्तियों से पानी में प्रदूषण का खतरा तो कम होता ही है साथ ही हल्की होने के कारण इन्हें आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है व मूर्ति टूटने या खंडित होने का खतरा भी कम रहता है।