शिवपुरी। मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की आवाज उठाने वाले आधा सैकड़ा से अधिक संगठन है। इन संगठन के प्रदेश स्तर के नेता और जिला स्तर के नेता सरकारी सुविधाओं को फायदा और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के नजदीक आकर कई प्रकार के अपने हित साधते नजर आते है। लेकिन संचालनालय के जारी एक पत्र कई कर्मचारी संगठनों को आईना दिखा दिया है।
जैसा कि विदित है कि शिक्षा विभाग से जुड़े, कर्मचारियों, शिक्षकों व भृत्यों की समस्याओं को सुनकर व उनका समय सीमा में निराकरण करने को लेकर वर्षों से विभागीय परामर्शदात्री बैठकों का आयोजन होता चला आ रहा है, लेकिन लोक शिक्षण संचालनालय के नए पत्र ने वर्षों से शिक्षकों की नेतागिरी करने वाले गैर मान्यता प्राप्त ऐसे संगठन, जो सिर्फ पंजीकृत हैं उन्हें आइना दिखा दिया है।
विभागीय परामर्शदात्री बैठकों में अब सिर्फ मान्यता प्राप्त संगठनों को ही आमंत्रित किए जाने का चलन शुरू कर दिया गया है। राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली परामर्शदात्री समिति की बैठक में सिर्फ मान्यता प्राप्त 11 संगठन मप्र राजपत्रित अधिकारी संघ,मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, मप्र लघु वेतन कर्मचारी संघ,मप्र शिक्षक कांग्रेस, मप्र राज्य कर्मचारी संघ, मप्र शिक्षक संघ,मप्र कर्मचारी कांग्रेस, मप्र अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ, मप्र लिपिक तृतीय शासकीय कर्मचारी संघ, मप्र अनुसुचित जाति जनजाति अधिकारी पिछड़ा वर्ग कर्मचारी संघ और मप्र शासकीय वाहन चालक यात्रिंकी कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों को ही आमंत्रित किया गया है।
संयुक्त संचालक द्वारा जारी इस पत्र में इन 11 संगठनों को अधिकतम तीन एजेंडा बिंदु उपलब्ध कराने और अधिकतम दो प्रतिनिधियों के ही शामिल होने का हवाला दिया गया है, जबकि शिक्षक
संघों की बात करें तो इन 11 संगठनों के अलावा शिवपुरी जिले में करीब दर्जन भर गैर मान्यता प्राप्त शिक्षक संघ भी सक्रिय हैं, जिनमें राज्य शिक्षक संघ, शासकीय शिक्षक संघ, आजाद अध्यापक संघ जैसे संगठन शामिल हैं।
इस पत्र के बाद अब इन संगठनों के प्रतिनिधियों को परामर्शदात्री बैठकों में आमंत्रित किए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। देखना होगा कि प्रदेश स्तर की तर्ज पर आगामी समय में जिला स्तर पर आयोजित होने वाली परामर्शदात्री बैठकों में इन गैर मान्यता प्राप्त संगठनों के पदाधिकारियों को अधिकारी आमंत्रित करेंगे या नहीं।