शिवपुरी। शिवपुरी जिले की नरवर तहसील अपने ऐतिहासिक किले के लिए प्रसिद्ध है जो कि नल-दमयंती के समय का है लेकिन किले के साथ नरवर में जो अन्य ऐतिहासिक झील-तालाब आदि थे वो देखरेख और कब्जे-अतिक्रमण के चलते विलुप्त होते जा रहें हैं जिसके लिए जीतेन्द्र चौरसिया, देवेंद्र चौरसिया द्वारा एनजीटी में याचिका दायर की गई है।
नरवर किले के नीचे किले की बड़ी दीवार है जिसके बाहर तत्समय एक खाई का निर्माण किया गया था जिसमे प्पानी भरा रहता था लेकिन आज उस खाई को अधिकतर भर दिया गया है एवं उसके ऊपर अनेक निर्माण किये जा रहे हैं।
ऐसे ही पार वाली माता मंदिर के पास स्थित वेटलैंड जिसको लखना तालाब के नाम से भी जाना जाता है वहाँ अवैधानिक रूप से रिपोर्ट का निर्माण किया जा रहा जबकि सुप्रीम कोर्ट एवं वेटलैंड नियम 2017 के अनुसार किसी भी वेटलैंड के 50 मीटर के अंतर्गत कोई भी निर्माण नही किया जा सकता है लखना तालाब कलेक्टर कार्यालय के रिकॉर्ड सूची अनुसार वेटलैंड माना गया हैI ऐसे ही कई और तालाब जैसे दुआई तालाब, नया तालाब, आदि भी धीरे धीरे देखरेख के अभाव में विलुप्त होते जा रहे हैं।
हाल ही में एनजीटी द्वारा मामले में संज्ञान लेते हुए एक कमिटी गठित की है जिसमे राज्य वेटलैंड प्राधिकरण का एक सदस्य, कलेक्टर शिवपुरी, एवं मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य शामिल हैं जिनको नरवर जाकर वर्तमान स्थिति का जांच प्रतिवेदन एवं सम्बंधित विभागों द्वारा की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन 6 हफ्ते में पेश करना है साथ ही एनजीटी द्वारा पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली, मध्य प्रदेश राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, नगरीय प्रशासन भोपाल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आदि से भी इस मामले में की गई कार्यवाही का जवाब माँगा है।