पचीपुरा तालाब बैराड - टूरिज्म को बढावा देने पानी में तैरते कमरे, वोट से पहुंचते है टूरिस्ट - SHIVPURI NEWS

Bhopal Samachar

शिवपुरी। जिले की मत्स्य उद्योग सहकारी संस्था मर्यादित पचीपुरा व मछुआ महिला स्व सहायता समूह बैराड़ ने मिलकर पचीपुरा तालाब में केज कल्चर फिशिंग का प्रोजेक्ट बनाया। जिसके तहत तालाब में 20 बाई 20 व 25 बाई 25 के बॉर्डर नुमा कक्ष बनाए गए, जिसमें गहराई तक जाल को बांधा गया है।

तालाब में बनाए गए इन कक्षों में अलग-अलग साइज की मछलियों का पालन किया जाता है तथा एक कक्ष में ढाई से पांच हजार तक मछलियां रहती हैं। इन मछलियों के लिए दाना भी आंध्र प्रदेश से लाया जाता है, जो 50 से 55 रुपए किलो है तथा एक दिन में 10 से 15 हजार रुपए का दाना डाला जाता है।

बोट से पहुंचेगे सैलानी
पानी में तैरते इन कमरों तक जाने के लिए सैलानियों को बोट उपलब्ध कराई गई है, जो तालाब के किनारे से सैलानियों को बिठाकर उन कक्षों तक ले जाएगी। बोट में सवार होकर कक्षों तक पहुंचने के बाद सैलानियों को यदि किसी और चीज की जरूरत है, तो उनकी सर्विस के लिए भी एक अलग वोट है।

मत्स्य को टूरिज्म से जोड़कर किया नवाचार

केज कल्चर से मछली पालन तो प्रदेश में दूसरी जगह पर भी हो रहा है,लेकिन मछली पालन के साथ टूरिज्म को जोड़ने का काम शिवपुरी ने प्रदेश में पहला नवाचार किया है। जिस एरिया में मछली पालन किया जा रहा है, वहीं पर दो सर्वसुविधायुक्त कक्षों का निर्माण किया है, जो पानी में तैर रहे हैं। दोनों कक्षों में डबल बेड के अलावा अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं। वहीं पर एक किचन भी मौजूद है, जिसमें कुछ भी बनाकर खाया जा सकता है। साथ ही अटैच लेट-बाथ भी बनाए गए हैं। यह ऐसे सैलानियों के लिए बनाया गया है, जो एडवेंचर के शौकीन हैं।

फिशिंग के साथ ही ताजे भोजन की सुविधा

पानी में तैरते कमरों में रुकने के लिए आने वाले सैलानियों को यदि फिशिंग का शौक है तो वहां पर बनाए गए मछलियों कक्षों के किनारे पर बैठकर वो इस शौक को भी पूरा कर सकते हैं। उनके द्वारा पकड़ी जाने वाली मछली को यदि वो वहीं पर बनाकर खाना चाहते हैं, तो उसकी भी सुविधा इसमें रखी गई है।

नवाचार देखने आ रहीं टीमें

शिवपुरी के पचीपुरा तालाब में साथ टूरिज्म को जोड़ने का यह प्रदेश में पहला नवाचार है, जिसे एपीसी ने देखने के बाद सभी कलेक्टरों को यह देखने के निर्देश दिए हैं। पिछले दिनों ग्वालियर जिपं सीईओ अपने साथ अन्य विभागों के अधिकारी लेकर आए थे। हमारे इस नवाचार को देखने लगातार टीमें आ रही हैं।
अरविंद सिंह तोमर, सदस्य, जिला

यह पचीपुरा तालाब की हिस्ट्री-27 करोड़ की लागत

पचीपुरा गांव में सिंचाई विभाग की और से करीब 27 करोड़ रुपए की लागत से पचीपुरा तालाब बनाया गया है।  ग्वालियर की तत्कालीन सांसद यशोधरा राजे सिंधिया की ओर से मार्च 2013 में बैराड़ तहसील के पचीपुरा तालाब का भूमिपूजन किया गया था। तालाब से लेफ्ट और राइट साइड में दो नहर (डिस्ट्रीब्यूटरीज) निकाली जाएगी जो आसपास के गांव तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाएंगी। इस तालाब के बांध की लंबाई 1125 मीटर एवं जलग्रहण क्षेत्र 89.75 वर्ग किमी. है। बांध में पानी भराव की कुल क्षमता 10.47 मिलियन घन मीटर एवं जीवंत क्षमता 8.32 मिलियन घन मीटर है।

राइट साइड वाली नहर की लंबाई 8.63 किमी. एवं लेफ्ट साइट वाली नहर की लंबाई 5.40 किमी. रखी गई है। बांध निर्माण से क्षेत्र की 1495 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती है एवं आसपास के क्षेत्र का जलस्तर बढ़ा है।

इन गांवों को होता है लाभ

पचीपुरा तालाब बनने के बाद तहसील क्षेत्र के पचीपुरा, अमरौदा, अमरौदी, रसैरा, बरौद, टोरिया, गोंदोलीपुरा, बमनपुरा, सांपरारा, नैनागढ़, देवरी, ऐनपुरा, मकलीजरा, मडरका एवं हरियाखेड़ी, सहित 15 गांवों को लाभ होगा। क्षेत्र में सरसों, गेहूं, चना, सोयाबीन आदि की फसल की जाती हैं।