शिवपुरी । आज 5 अगस्त को , सहरिया जनजाति के उत्थान के लिए किए जा रहे सामाजिक आंदोलन, सहरिया क्रांति, का स्थापना दिवस है । यह दिवस सहरिया आदिवासियों द्वारा 'अधिकार दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस आंदोलन की नींव वरिष्ठ पत्रकार संजय बेचैन और उनके कुछ आदिवासी युवा साथियों ने रखी थी। उनका मानना था कि समाज में फैले शोषण, दमन, और अत्याचार का मुकाबला केवल क्रांतिकारी तरीके से ही किया जा सकता है।
सहरिया क्रांति की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी और गरीब समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना था। यह आंदोलन किसी भी प्रकार के चंदे या अनुदान पर निर्भर नहीं है; इसे पूरी तरह से जोश और समर्पण से चलाया जा रहा है। सहरिया क्रांति ने समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शिवपुरी जिले के बलारपुर मंदिर से जारी सामाजिक पंचनामा ने पूरे देश की सहरिया बाहुल्य बस्तियों में पहुंचकर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक किया। इसके परिणामस्वरूप, सहरिया आदिवासी समाज ने नशे से दूर रहने और सरकारी तथा गैर-सरकारी नौकरियों के लिए तैयार होने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
सहरिया क्रांति आंदोलन ने बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी जबरदस्त संघर्ष किया। सदियों से बंधुआ मजदूरी का कलंक झेल रहे सहरिया समुदाय को इस आंदोलन के माध्यम से एक दशक में 95 प्रतिशत तक बंधुआ मजदूरी से मुक्ति मिल चुकी है। हालांकि, इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलन के प्रमुख संजय बेचैन को कई बार जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा, जिनमें उनकी जान भी जा सकती थी, लेकिन उन्होंने क्रांति की राह को छोड़ने का नाम नहीं लिया।
दबंगों द्वारा हथियाई गई आदिवासियों की ज़मीनों को वापस दिलाना भी इस आंदोलन का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है। कई वर्षों की मेहनत और संघर्ष के बाद, शिवपुरी जिले के कई गांवों में आदिवासियों की ज़मीनें वापस कर दी गई हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जो सहरिया क्रांति की सफलता को दर्शाती है।
सहरिया क्रांति आंदोलन में आज 1 लाख से अधिक लोग दिल से जुड़े हुए हैं। इस आंदोलन ने सहरिया जनजाति को एक नई दिशा दी है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। स्थापना दिवस के मौके पर, सहरिया क्रांति के कार्यकर्ता और समर्थक एकजुट होकर इस ऐतिहासिक आंदोलन की सफलता का जश्न मनाएंगे और भविष्य में इसके विस्तार और विकास के लिए नए संकल्प लेंगे।
यह दिवस सहरिया जनजाति के लिए गर्व और आशा का प्रतीक है, जो दर्शाता है कि दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है। सहरिया क्रांति का स्थापना दिवस न केवल एक आंदोलन की सफलता की कहानी है, बल्कि यह समाज में क्रांति की आवश्यकता और उसकी शक्ति को भी दर्शाता है।