संजीव जाट बदरवास। उच्च शिक्षा हेतु लंबे समय से मांग और संघर्ष के बाद बदरवास में प्रारंभ हुए शासकीय महाविद्यालय में केवल स्नातक स्तर पर आर्ट्स की कक्षाएं ही संचालित है जबकि यहां विज्ञान और कॉमर्स की स्नातक कक्षाओं सहित स्नातकोत्तर की कक्षाएं प्रारंभ किए जाने की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही है। स्नातक स्तर विज्ञान और कॉमर्स की कक्षाएं न होने से विद्यार्थियों को अन्य शहरों की ओर रुख करना पड़ता है।
जानकारी के अनुसार बदरवास नगर में सरकारी कॉलेज खोले जाने की मांग काफी समय से थी जिसके लिए कॉलेज संघर्ष समिति ने काफी प्रयास किए और लंबी मांग के बाद विधानसभा उपचुनाव के समय प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बदरवास में आयोजित सभा में मंच से ही अगले कॉलेज की स्वीकृति पत्र कलेक्टर को दिया था जिसके पालन में कॉलेज प्रारंभ हो गया था।
कई वर्षों तक बदरवास का सरकारी कॉलेज स्वयं का भवन न होने से अन्य बिल्डिंग में चलता रहा लेकिन गत वर्ष से शासकीय महाविद्यालय अपने स्वयं के भवन में पहुंच चुका है।वर्तमान में केवल स्नातक स्तर पर बीए की सुविधा ही इस महाविद्यालय में है जबकि क्षेत्र बड़ा होने से यहां बीएससी और बीकॉम सहित स्नातकोत्तर की कक्षाओं की काफी आवश्यकता है। ये कोर्स न होने के कारण विद्यार्थियों को शिवपुरी गुना जाकर प्रवेश लेना पड़ता है जो कि उन्हें काफी परेशानी भरा है।
वर्तमान में स्थिति यह है कि कई वर्ष बाद भी कॉलेज का हाल यह है कि छात्रों की पढ़ाई के लिए पर्याप्त शिक्षकीय स्टाफ भी नहीं है।
बदरवास में शासकीय कॉलेज की शुरुआत 2018 में की गई थी। इन वर्षों में कॉलेज का सफर सामुदायिक भवन की बिल्डिंग से महाविद्यालय के नवीन भवन तक तो पहुंचा लेकिन इसमें पढ़ाई के लिए विषय नहीं बढ़ाए गए। महाविद्यालय में सिर्फ आर्ट की कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। महाविद्यालय में बीएससी और बीकॉम सहित पीजी कक्षाओं को शुरू करने के लिए लगातार मांग जारी है लेकिन अभी तक न तो यहां विषयों को बढ़ाया गया और न ही पीजी कोर्स शुरू किए गए।
गरीब छात्र नहीं पढ़ पाते आगे की पढ़ाई
बीएससी और बीकॉम विषय शुरू नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी तो उन छात्रों को उठाना पड़ती है जिन्होंने कक्षा 11 वीं और 12वीं की पढ़ाई के दौरान स्कूलों में गणित, वाणिज्य, बायोलॉजी संकाय में एडमिशन लेते हैं आर्थिक तंगी के कारण बाहर जाकर आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकते। ऐसे में वह मजबूरी में या तो आर्ट विषय को चुन लेते हैं या फिर पढ़ाई ही छोड़ रहे हैं।
अन्य शहरों का करना पड़ता है रुख
बीकॉम, बीएससी की कक्षाओं के अलावा पीजी विषयों में पढ़ाई करने के लिए बदरवास के शासकीय कॉलेज में विद्यार्थियों के पास कोई विकल्प नहीं होना उन्हें पलायन के लिए मजबूर कर रहा है। कॉलेज में रोजगार मूलक विषय भी नहीं हैं। स्थिति यह है कि अधिकांश छात्र-छात्राएं 12वीं पास करने के बाद गुना शिवपुरी चले जाते हैं। ऐसे में उन्हें दूसरे जगह जाकर पढ़ाई करने में आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ रहा है।
स्टाफ की कमी बनी बड़ी समस्या
बदरवास के शासकीय कॉलेज में बीए में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने प्रवेश ले रखा है लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए स्टाफ की बेहद कमी है और अतिथि विद्वानों के सहारे कॉलेज संचालित है।
बड़े संघर्ष के बाद खुला था कॉलेज
बदरवास नगर में सरकारी कॉलेज खोलने की मांग को लेकर नगर के युवाओं ने कॉलेज संघर्ष समिति का गठन कर लगातार क्रमिक रूप से कई वर्षों तक मांग और अभियान चलाया।कई बार प्रदेश के सीएम,उच्च शिक्षा मंत्री सहित विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए तब जाकर विधानसभा उपचुनाव में बदरवास आए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कॉलेज के लिए लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए बदरवास में शासकीय कॉलेज खोलने की घोषणा की थी।